Khajuraho Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश की सियासत में खजुराहो लोकसभा अहम मानी जाती है. खजुराहो लोकसभा सीट पर अलग-अलग समय पर कांग्रेस और बीजेपी का गढ़ रहा है. हालांकि बीते 20 साल से बीजेपी इस सीट पर लगातार जीतती रही है. साल 2024 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्‍णु दत्‍त शर्मा किस्मत आजमा रहे हैं.


खजुराहो लोकसभा सीट पर पहली बार बीजेपी ने साल 1989 में उमा भारती की अगुवाई में पहली बार जीत दर्ज किया था. इस प्राचीन शहर की बीते 35 साल के सियासत पर नजर डाले तो, लगभग 30 साल तक बीजेपी का दबदबा रहा है. इस क्षेत्र से जीतने जीतने सियासदानों ने देश और प्रदेश की सियासत में अपनी अलग पहचान बनाई. 


उमा भारती ने छतरपुर जिले की मल्हारा विधासनभा से जीत दर्ज की. साल 2003 में प्रदेश में 10 साल से सत्ता में काबिज रही दिग्विजय सिंह की सरकार को बेदखल कर दिया. इसी साल उमा भारती मध्य प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. खजुराहों में मध्य प्रदेश में पहली बार बीजेपी की जीत के बाद लगातार चार बार उमा भारती यहां से सांसद रही हैं. खजुराहो अपनी सियासत के अलावा प्राचीन शहरों और भव्य मंदिरों के लिए भी जाना जाता है. 


खजुराहो लोकसभा में क्या है खास?
खजुराहो देश के प्रमुख शहरों में से एक है. यह अपने प्राचीन ऐतिहासिक मंदिरों के लिए पूरे विश्व में मशहूर हैं. यह विश्व के प्रमुख धरोहरों में से हैं. खजुराहों के मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के शासनकाल में 950 से 1050 के बीच में हुआ था. वर्तमान में यहां पर सिर्फ 20 हिंदू और जैन मंदिर ही बचे हैं. इन मंदिरों की वास्तुकला और मूर्तिकला निर्माणकला का एक शानदार उदाहरण है.


खजुराहो को प्राचीन काल में 'खजूरपुरा' या 'खजूर वाहिका' के नाम से मशहूर था.सियासी नजरिये से देखें तो खजुराहो लोकसभा कुल तीन जिलों से मिलकर बना है, जिनमें पन्ना, कटनी और छतरपुर जिला शामिल हैं. इन तीनों जिलों में कुल 8 विधानसभा क्षेत्र है. 10 लाख से अधिक की आबादी वाला पन्ना जिला 13वीं सदी राजा छत्रसाल बुंदेला की राजधानी थी. 


पन्न जिले को 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश में विलय कर दिया गया. यह जिला प्रदेश के सागर संभाग में शामिल है. यह हीरों की खान, खूबसूरत पहाड़, प्राचीन भव्य और दिव्य मंदिरों के लिए पूरे दुनिया में मशहूर है. संत प्राणनाथ और श्री बलदेव जी मंदिर पर हर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. 


खजुराहो लोकसभा में शामिल छतरपुर जिले भी साल 1956 में अस्तित्व में आया है. छतरपुर में पाई जाने वाली लकड़ी की गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है. इन लकड़ियों का इस्तेमाल निर्माण कार्यों के लिए आदर्श माना जाता है. इस जिले में भी कई महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल हैं. जिनमें चौंसठ योगिनी, दुलदेव मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर, कंदरिया महादेव, चतुर्भुज मंदिर और लक्ष्मण मंदिर शामिल है.


इसी तरह खजुराहो लोकसभा क्षेत्र में शामिल कटनी जिला भी कई वजहों से पूरी दुनिया में मशहूर है. कटनी को मुड़वारा के नाम से भी जाना जाता है. इस जिले से होकर कटनी नदी बहती है, जिसके नाम पर कटनी जिला पड़ा. इसके अलावा मुड़वारा, छोटी महानदी और उमदर नदी भी यहां से होकर गुजरती है. इस जिले का गौरवमयी इतिहास रहा है. कटनी जिला प्रदेश के जबलपुर संभाग में आता है.


कटनी जिले के लोगों ने आजादी की लड़ाई में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का बढ़चढ़कर साथ दिया था. बताया जाता है कि कटनी और आसपास के गांव के लोग आजादी की लड़ाई में कूद पड़े और बड़ी संख्या में लोगों को अंग्रेजी हुकूमत ने जेल में डाल दिया है. यहां के लोगों ने आजादी से पहले 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाया.


इस क्षेत्र में कई तरह के कीमती पत्थर पाए जाते हैं. जिनकी तुलना हीरे से की जाती है. कटनी के स्लीमनाबाद की पहचान संगमरमर के पत्थरों से हैं. इसके अलावा लेटराइट, कैल्साइट, फायरक्ले, डोलोमाइट, बार्टिजन, बॉक्साइट और चूना पत्थर का विशाल भंडार है. इसकी वजह से कटनी को 'चूना पत्थर का शहर' भी कहा जाता है. विजयराघवगढ़ का किला, भगवान विष्णु वराह, माता जालपा का मंदिर, सांवले गणेश, कामकंदला का किला जैसी की जगहें पर्यटन के लिहाज से काफी मशहूर हैं.


बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में किया क्लीन स्वीप
भौगोलिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक खूबियों के बाद रुख करते हैं यहां की सियासत की. खजुराहो लोकसभा सीट में कुल 8 विधानसभाएं शामिल हैं, जिनमें चंदला, राजनगर, पवई, गुन्नौर, पन्ना, विजयराघवगढ़, मुड़वारा और बहोरीबंद विधासभा सीटें शामिल हैं. साल 2023 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी 8 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर क्लीन स्वीप किया था. 


इस सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा. मतदान से पहले बीजेपी ने इस सीट पर मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. मध्य प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीट में से सिर्फ खजुराहो सीट पर कांग्रेस ने प्रत्याशी ने नहीं उतारा था. यह सीट इंडिया गठबंधन के घटक दल को समाजवादी पार्टी के खाते में आई थी. इस सीट पर सपा ने मीरा यादव को टिकट दिया था, लेकिन चुनाव आयोग ने नामांकन की जांच के बाद उनके पर्चे को निरस्त कर दिया था. 


इंडिया गठबंधन प्रत्याशी का हो चुका है पर्चा निरस्त
सपा प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन पत्र निरस्त होने के बाद इंडिया गठबंधन ने इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहाराय. कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाते हुए कहा था कि लोकतंत्र के सभी मानदंडों और कानूनों को ताक पर रखकर बीजेपी, सपा प्रत्याशी मीरा यादव का पर्चा खारिज करवाने में कामयाब रही है. 


इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल का पर्चा खारिज होने के बाद बीजेपी प्रत्याशी वीडी शर्मा के लिए मैदान खुला माना जा रहा था. जातीय समकीरणों पर नजर डालें तो यह काफी हद जायज भी था. नामांकन निरस्त न होने की स्थिति में सपा प्रत्याशी मीरा यादव वीडी शर्मा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती थीं. इसकी वजह यह है कि इस सीट पर बड़ी संख्या में ओबीसी वोटर्स हैं और उत्तर प्रदेश से सटे क्षेत्रों में सपा और बीएसपी का प्रभाव दिखाई पड़ता है. 


जातीय समीकरण 
खजुराहो लोकसभा सीट पर 19 लाख 94 हजार 330 मतदाता हैं. इनमें से 18.5 फीसदी एससी वोटर्स हैं. इसी तरह  15 फीसदी एसटी और 3 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. इसके अलावा बौद्ध, सिख, जैन, क्रिश्चिय मतदाता भी हैं, लेकिन उनकी संख्या 1 फीसदी से भी कम है. इस सीट पर बड़ी संख्या में ओबीसी और सामान्य मतदाताओं की संख्या है. 


इंडिया गठबंधन ओबीसी और अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधने के लिए मीरा यादव पर भरोसा दिखाया था. वह इससे पहले निमाड़ी से विधायक भी रह चुकी हैं. दूसरी तरफ वीडी शर्मा सामान्य जाति से आते हैं, इस सीट पर ओबीसी और सामान्य मतदाता निर्णायक भूमिका में है. खजुराहो में एक लाख से अधिक मुस्लिम, दो लाख से अधिक यादव और एक लाख से अधिक कुर्मी वोटर हैं. इस संख्या बल को देखते हुए सपा और बीजेपी में कांटे की टक्कर मानी जा रही थी. पर्चा निरस्त होने के बाद सियासी गलियारों में वीडी शर्मा के लिए वॉक ओवर माना जा रहा है.


वीडी शर्मा के सामने कितनी है चुनौतियां?
निर्वाचन आयोग ने नामांकन पत्रों की जांच के बाद सपा प्रत्याशी मीरा यादव सहित पांच उम्मीदवारों का पर्चा खारिज कर दिया था. इसको लेकर काफी विवाद भी हुआ. वर्तमान में इस सीट से 14 प्रत्याशी चुनावी रण में ताल ठोक रहे हैं. मीरा यादव का पर्चा निरस्त होने के बाद इंडिया गठबंधन ने ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक के प्रत्याशी आरबी प्रजापति को समर्थन देने का ऐलान किया है.


आरबी प्रजापति पूर्व आईएएस ऑफिसर हैं. इंडिया गठबंधन के इस ऐलान के बाद बीजेपी और वीडी शर्मा की टेंशन बढ़ गई है. आरबी प्रजापति ने बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में चंदेला सीट से चुनाव लड़े थे, हालांकि उन्हें सिर्फ 698 वोट ही मिले थे. इ़ंडिया गठबंधन का समर्थन मिलने से आरबी प्रजापति के लिए इस सीट पर सियासी हालात बदल गए हैं.


इ़ंडिया गठबंधन से आरबी प्रजापति के समर्थन मिलने से खजुराहो लोकसभा सीट पर बीजेपी ने प्रचार अभियान तेज कर दिया था. खजुराहो में वीडी शर्मा के समर्थन में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, स्मृति ईरानी, दो बार मुख्यमंत्री मोहन यादव, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सहित भारतीय जनता पार्टी के कई दिग्गज नेता और पदाधिकारी लगातार प्रचार प्रसार कर रहे हैं. 


खजुराहो सीट से बीजेपी प्रत्याशी और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने खुद प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी. वह हर रोज 25 से अधिक गांवों के साथ 10 से अधिक सभाएं करते थे. सियासी जानकारों के मुताबिक, कमजोर प्रतिद्वंद्वी और जीत की प्रबल संभावनाओं के बावजूद प्रचार में कोई कमी नहीं छोड़ने के पीछे भी एक विशेष प्लान था. बीजेपी की योजना इन दिग्गजों और लगातार प्रचार के जरिये मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक लाना और बड़े अंतर से जीत हासिल करना है. 


उमा भारती खजुराहों को बनाया बीजेपी का गढ़
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वीडी शर्मा ने खजुराहो से कांग्रेस प्रत्याशी महारानी कविता सिंह को पांच से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. इससे पहले 2014 में बीजेपी के टिकट पर नागेंद्र सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी राजा पटेरिया को हराया था, जबकि 2009 में बीजेपी के जीतेंद्र सिंह बुंदेला ने जीत दर्ज किया था.


कब कौन जीता?
साल 1957 में खजुराहो में पहले लोकसभा चुनाव कांग्रेस के राम सहाय तिवारी और मोती लाल मालवीय ने जीत दर्ज की थी. साल 1967 में राम सहाय तिवारी ने दोबार जीत हासिल की है, जबकि 1967 से 1977 तक इस लोकसभा क्षेत्र को समाप्त कर दिया गया था. साल 1977 में दोबार चुनाव हुए और जनता पार्टी से लक्ष्मीनारायण नायक ने जीत हासिल की थी. 


खजुराहो लोकसभा सीट पर 1980 में कांग्रेस (आई) और 1984 के लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लगातार विद्यावती चतुर्वेदी ने जीत हासिल की. 1989 में इस सीट पर पहली बार बीजेपी ने जीत हासिल की. उमा भारती यहां से निर्वाचित होकर संसद भवन पहुंची. उसके उन्होंने लगातार 1991, 1996, 1998 में जीत हासिल की और इसको बीजेपी के गढ़ में तब्दील कर दिया.


कांग्रेस ने 1999 में  सत्यवर्त चतुर्वेदी की अगुवाई में खजुराहो लोकसभा सीट पर जीत दर्ज कर दोबार वापसी करने में कामयाब रही है. हालांकि इसके बाद हुए लगातार चुनाव में कांग्रेस को नाकामी हाथ लगी. साल 2004 में बीजेपी से रामकृष्ण कुसमरिया, 20009 में जीतेंद्र सिंह बुंदेल, 2014 में नागेंद्र सिंह और 2019 लोकसभा चुनाव विष्णुदत्त शर्मा ने जीत हासिल की. विष्णुदत्त शर्मा  एक बार फिर से यहां से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, हालांकि इस बार परिस्थितियां काफी हद तक बदल गई हैं.


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