MP News: मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कमलनाथ के बीजेपी में आने की चर्चाओं और अटकलों पर बड़ा बयान दिया है.उन्होंने जबलपुर में पत्रकारों से सवाल-जवाब के दौरान कहा कि फिलहाल हमारी पार्टी को कमलनाथ जी की कोई आवश्यकता नहीं है. आगे चुटकी लेते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा ''कमलनाथ जी जैसे समझदार नेता कैसे धोखा खा गए? हमें भी समझ नहीं आया.'' इसके साथ ही कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पश्चिम बंगाल में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार का जिक्र करते हुए वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है.


'मैं संदेशखली कई बार गया हूं'


लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए जबलपुर पहुंचे कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पश्चिम बंगाल के संदेशखली में हुई घटना को लेकर ममता सरकार को जमकर घेरा. बीजेपी के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, "मैं संदेशखली कई बार गया हूं और मैंने वहां के हालातों को नजदीक से देखा है.पश्चिम बंगाल में गुंडे पुलिस और राजनेताओं का नेक्सस चल रहा है.पश्चिम बंगाल में गरीबों के अनाज पर भ्रष्टाचार हो रहा है. महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है लेकिन इन सब पर रोक लगाने वाला कोई नहीं है."


 






विजयवर्गीय ने आगे कहा,"पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र खत्म हो गया है और महिलाओं की दुर्दशा हो रही है.मैं व्यक्तिगत रूप से पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करता हूं."


कमलनाथ पर क्या बोले कैलाश विजयवर्गीय?


इसके साथ ही कैलाश विजयवर्गीय ने कमलनाथ के बीजेपी में आने की चर्चाओं के बीच कहा कि फिलहाल हमारी पार्टी को कमलनाथ की कोई आवश्यकता नहीं है. उन्होंने मीडिया के सवाल के जवाब में कमलनाथ पर चुटकी भी ली.कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कमलनाथ जैसे समझदार नेता कैसे धोखा खा गए? हमें भी समझ नहीं आया.


बातचीत के दौरान कैलाश विजयवर्गीय ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर भी निशाना साधा.उन्होंने कहा कि इन दिनों दिग्विजय सिंह समेत पूरी कांग्रेस पार्टी फ्रस्ट्रेशन में चल रही है. दिग्विजय सिंह और कांग्रेस के नेताओं को अपना भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है.इसलिए फ्रस्ट्रेशन में दिग्विजय सिंह कुछ भी ऊल-जुलूल बयान दे रहे हैं.इन दिनों तो दिग्विजय सिंह दया के पात्र हैं.


पत्रकारों से बातचीत के दौरान डॉ मोहन यादव सरकार में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने किसान आंदोलन को लेकर भी बड़ा बयान दिया.विजयवर्गीय ने कहा कि जिन लोगों का लक्ष्य केवल आंदोलन करना ही है,तो उन्हें समझाया नहीं जा सकता है.सरकार ने किसानों के हित में कई बड़े प्रस्ताव तैयार किए थे लेकिन रात को जिन किसान नेताओं ने प्रस्ताव पर हामी भरी थी, वही सुबह होते ही आंदोलन का एलान करते हैं. इससे साफ जाहिर है कि आंदोलन की रूपरेखा कोई और ही तय कर रहा है.


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