Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के इंदौर में एक पारिवारिक अदालत ने पत्नी का सिंदूर नहीं लगाना पति के लिए क्रूरता माना है. क्योंकि सिंदूर लगाना एक (हिंदू) महिला का कर्तव्य है जो यह दर्शाता है कि वह शादीशुदा है. इंदौर फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एनपी सिंह ने एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है. इंदौर न्यायालय ने एक महिला को तत्काल प्रभाव से अपने पति के घर लौटने का निर्देश दिया है.


महिला के पति के पक्ष में आया फैसला
इंदौर फैमिली कोर्ट की तरफ से महिला के पति के पक्ष में फैसला सुनाया गया है. कोर्ट ने पत्नी को पति के पा वापस लौटने का आदेश दिया है. कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि पति ने पत्नी को नहीं छोड़ा बल्कि वो अपने मर्जी से पति से अलग रह रही थी. इस दौरान उसने सिंदूर लगाना भी बंद कर दिया था. जिसके बाद कोर्ट में पति ने पत्नी को वापस लाने के लिए याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि बिना किसी कारण के उसकी पत्नी पिछले 5 सालों से उससे अलग रह रही है.


महिला ने पति पर लगाए थे आरोप
पति की तरफ से हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अपने अधिकारों की बहाली की मांग की गई थी. कोर्ट की तरफ से महिला से पूछा गया कि उसने सिंदूर क्यों नहीं लगाया तो महिला की तरफ से कहा गया कि अलग रहने की वजह से उसने सिंदूर लगाना छोड़ दिया. अपने बचाव में महिला ने अपने पति पर दहेज के लिए शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया.


दोनों पक्षों को सुनने और रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री को देखने के बाद अदालत की तरफ से देखा गया महिला ने पुलिस को पति के खिलाफ कोई शिकायत नहीं दी है. ऐसे में कोर्ट ने महिला को पति के पास वापस लौटने का आदेश दिया. याचिकाकर्ता के वकील शुभम शर्मा ने कहा कि उनके मुवक्किल की शादी 2017 में हुई थी और दंपति का 5 साल का बेटा है.


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