MP News: मध्य प्रदेश में जमीन पर आ गई कीमतों अब आलू (Potatos) की खेती करने वाले किसानों को खून के आंसू रुला रही हैं. किसानों का कहना है कि आलू की कीमतों में भारी गिरावट से उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता पड़ रहा है. आलम यह है कि किसानों ने आलू को मंडी में लाना ही बंद कर दिया है.


क्यों गिरी कीमतें?
मध्य प्रदेश के कई ऐसे इलाके हैं जहां पर किसान आलू और प्याज की खेती करते हैं. आलू की बंपर खेती होने की वजह से बाजार में आलू की कीमतें गिर गई हैं. भाव नहीं बढ़ने के कारण किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. पंवासा के किसान राहुल सिंह अटल के मुताबिक एक बीघा जमीन में आलू बोने के लिए बीज से लेकर मंडी ले जाने तक 30000 रुपए का खर्च आता है, जबकि एक बीघे में 40 क्विंटल तक आलू निकलता है. अभी आलू 4 से लेकर 8 प्रति किलो थोक बाजार में बिक रहा है. इस प्रकार किसानों की लागत भी निकल नहीं पा रही है. 


'20 रुपए किलो तक होनी चाहिए आलू की कीमत'
बडनगर तहसील के ग्राम दंगवाड़ा निवासी किसान पवन सिंह के मुताबिक आलू के दाम कम से कम 20 रुपए किलो होना चाहिए तब जाकर किसानों को लागत का 2 गुना मूल्य मिल पाएगा.  इसके ठीक विपरीत बाजार में आलू के भाव 5 गुना तक कम हैं,  ऐसी स्थिति में किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. खासतौर पर कम जमीन वाले किसान बेहद परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं.


किसानों को प्राकृतिक आपदा के मुआवजे का भी इंतजार
किसान विशाल सिंह के मुताबिक थाली में ओलावृष्टि और बारिश की वजह से गेहूं और चने की फसल पर बुरा असर पड़ा है, उन्होंने कहा कि किसानों को मुआवजे का इंतजार है. दूसरी तरफ आलू की खेती भी घाटे का सौदा साबित हो रही है. इस प्रकार से विविध प्रकार की खेती करने वाले किसान खासा परेशान हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को आलू के निर्यात पर ध्यान देना चाहिए. इसके अलावा प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई भी शीघ्र होना चाहिए.


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