Dabra Missionary School Raid: बाल आयोग और बाल संरक्षण आयोग की ईसाई मिशनरी से जुड़े शैक्षणिक संस्थानों पर छापामार कार्यवाही निरंतर जारी है. मुरैना के स्कूल को सील करवाने के बाद आयोग की सदस्य के साथ टीम ने डबरा पहुंचकर वहां सिमरिया टेकरी स्थित सेंट पीटर्स स्कूल पर औचक छापा मारा. आरोप है कि स्कूल में ईसाई साहित्य का भंडार और एक नन ट्रेनिंग सेंटर भी संचालित किया जाता है. साथ ही अनेक अनियमितताएं भी पाई गईं हैं. प्रशासन ने फिलहाल स्कूल को अपने कब्जे में लेकर प्राचार्य और अन्य कक्ष सीज कर दिए हैं.


डबरा के सिमिरिया टेकरी स्थित सेंट पीटर्स स्कूल में बाल आयोग और बाल संरक्षण आयोग की सात सदस्यीय भोपाल की टीम ने 27 मार्च को अचानक से मय दल बल के साथ स्कूल पर रेड की.  इसमें बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ निवेदिता शर्मा, ओमकार सिंह बाल संरक्षण आयोग सदस्य, सुमंत शर्मा के नेतृत्व वाली टीम ने स्कूल और स्कूल कैम्पस का बारीकी से निरीक्षण किया. इस दौरान टीम को स्कूल में कई अनियमितताएं मिली. बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों का कहना है कि स्कूल लाइब्रेरी और क्लास रूम में ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार सामग्री पाई गई. वहीं कई खुफिया स्थानों पर स्कूल की आड़ में ईसाई धर्म से जुड़ा अन्य सामान भी मिला.


बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों की मानें तो क्लास रूम और लायब्रेरी में ईसाई साहित्य और स्कूल में नन ट्रेनिग कैम्पस चलता पाया गया. टीम का कहना है कि जांच के दौरान सबसे बड़ी बात ये रही कि प्रबंधन स्कूल संचालन के पास स्कूल संचालन की कोई भी अनुमति आयोग की टीम को स्कूल प्रबंधन नहीं दिखा सका. साथ ही शासन की ओर से एग्रीकल्चर के लिए दी गई भूमि पर बड़ी मात्रा में कैंपस बनाया गया है और निरीक्षण के दौरान कई कंस्ट्रक्शन का कार्य अवैध रूप से बिना अनुमति के जारी मिला. प्रबंधन स्कूल की परमिशन भी नहीं दिखा सका .


एसडीएम को भी मौके पर बुलाया गया
टीम ने निरीक्षण के दौरान एसडीएम प्रखर सिंह को बुलाया और सभी तथ्यों और घटनाओं से अवगत कराया गया. एसडीएम डबरा प्रखर सिंह की ओर से गंभीर अनियमितता और लापरवाही पाए जाने को लेकर पंचनामा बनाकर पूरे प्राइमरी स्कूल बिल्डिंग और प्रिंसिपल चेंबर सहित मेन डोर को सील करने की कार्यवाही की गई. उन्होंने कहा कि वे मामले की जांच करवा कर उचित कार्यवाही करेंगे.


प्रिंसिपल पर दर्ज है रेप का मामला
इस स्कूल के प्रिंसिपल दिलीप नंदलाल पर मुरैना जिले में दुष्कर्म का मामला भी दर्ज हुआ था. जिसकी भी जांच करने की बात टीम और स्थानीय प्रशासन ने कही है. वहीं प्रिंसिपल की योग्यता पर भी सवालिया निशान खड़े किए गए हैं. राजस्व अधिकरियों का कहना है संस्था ने भूमि डायवर्सन की राशि भी कभी जमा हीं नहीं की. अब विधिवत राजस्व अधिकारी इसकी भी जांच करने की बात कर रहे हैं.  


शिक्षा और शासन की कार्यशैली पर बड़ा सवाल
गौर करने वाली बात यह है कि 1994 में स्कूल के नाम पर इस कैम्पस की स्थापना हुई थी. जब से लेकर अब तक स्कूल ने किसी भी तरह की कोई भी अनुमति नहीं ली और स्कूल में केवल परीक्षा केंद्र बनाए जाने की अनुमति होना बताया जा रहा है. कैंपस में ग्यारह सौ बच्चो को पढ़ाया जा रहा है जो कि शिक्षा और शासन की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़े करता है. हालांकि शिक्षा विभाग ने अनुमति रिनुअल के लिए 12 बार स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी किया था. लेकिन इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन ने कोई भी ध्यान नहीं दिया और लगातार लापरवाही बरतता रहा.


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