Madhya Pradesh News: आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश सहित देश भर में बिजली उपभोक्ताओं के लिए परेशानी बढ़ सकती है. क्योंकि केंद्र सरकार के द्वारा बिजली नियम 2005 में संशोधन करने का काम किया गया है. इसके लिए अब लागत तय करने हेतु आवश्यक नियमों का योग नियामक आयोग की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी, जिसके चलते बिजली कंपनियां अपने हिसाब से कास्ट तय कर सकेंगी.


बता दें कि जिस प्रकार से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दाम रोज घटा बढ़ा सकती हैं. ठीक उसी प्रकार से अब बिजली कंपनियां भी हर महीने बिजली का फ्यूल कास्ट चार्ज तय कर सकेंगी. इसके लिए उन्हें अब बिजली नियामक आयोग के आदेश की आवश्यकता नहीं होगी. 


उपभोक्ताओं का नहीं होगा नुकसान


भारत सरकार ने बिजली नियम 2005 में संशोधन किया है, जिससे हर महीने फ्यूल कास्ट एडजेस्टमेंट तय करने का काम बिजली कंपनियों को सौंप दिया गया है. मध्य प्रदेश के अंदर भी बिजली नियामक आयोग ने ज्ञानमती प्रदान कर दी है. अब देखने वाली बात होगी कि इस निर्णय का असर उपभोक्ताओं के बिल पर किस प्रकार पड़ता है. कुछ अधिकारियों का मानना है कि उपभोक्ताओं को लाभ होगा तो कुछ इसे जनता के लिए हितग्राही बता रहे हैं.


इस संबंध में प्रमुख सचिव ऊर्जा विभाग मध्य प्रदेश संजय दुबे ने बताया कि इससे आम जनता को कोई नुकसान नहीं होने वाला है, बल्कि भविष्य में फायदा भी होगा. क्योंकि बिजली कंपनियां राजस्व की जरूरत के हिसाब से फ्यूल कास्ट चार्ज करेंगे और कोई मनमानी नहीं कर सकेंगे. क्योंकि आयोग सालाना राजस्व की जरूरत के हिसाब से उनका आकलन भी करेगा और विभाग निरंतर इस ओर नजर बनाए रखेगा.


मध्य प्रदेश सहित देशभर में अब तेल कंपनियों की तर्ज पर ही बिजली वितरण करने वाली कंपनियां अपना घाटा पूरा करने के लिए रेट को अपने हिसाब से तय करने का अधिकार रख सकेंगी. अब देखने वाली बात यही होगी कि इसमें सरकारी नियंत्रण किस प्रकार से सुनिश्चित किया जाता है, जिसके कारण उपभोक्ताओं को लाभ हो ना कि नुकसान.


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