जबलपुर: आचार्य रजनीश या ओशो (Acharya Rajneesh) को मानने वालों के लिए आज का दिन बेहद खास है. 69 साल पहले आज ही के दिन ओशो को जबलपुर में मौलश्री के वृक्ष के नीचे संबोधि (Enlightment) की प्राप्ति हुई थी.इस खास दिन पर उसी मौलश्री के वृक्ष के नीचे ओशो प्रेमी जुटे और नाचते-गाते उनकी महिमा का गुणगान किया.




कहां और कब पैदा हुए थे आर्चाय रजनीश उर्फ ओशो


यहां बता दे कि ओशो रजनीश का जन्म रायसेन जिले के बरेली तहसील के गांव  कुचवाड़ा में   11 दिसम्बर, 1931 को हुआ था. उन्हें जबलपुर में 21 साल की आयु में 21 मार्च 1953 मौलश्री वृक्ष के नीचे संबोधि की प्राप्ति हुई थी. उन्होंने 19 जनवरी 1990 को पूना स्थित अपने कम्यून (आश्रम) में शाम 5 बजे के लगभग अपनी देह त्याग दी थी. 




ओशो ने खुद अपने शब्दों में लिखा है, ''मैं उन दिनों जबलपुर में योगेश भवन में रहता था.रात के 1 बजे कुछ अजीब लग रहा था.शरीर हल्का हुए जा रहा था तो वहां से निकलकर जबलपुर के भंवरताल पार्क की दीवार फांदकर मौलश्री के वृक्ष के नीचे जाकर बैठ गया और लगभग 4 बजे तक वहीं बैठा रहा.उन्हें लग रहा था कि वे ज्योर्तिमय स्वरूप हो गए हैं.बगीचे का प्रत्येक पेड़ और पौधा एक प्रकाशपुंज की भांति नजर आ रहा था.मौलश्री के वृक्ष ने ज्यादा आकर्षित किया इसीलिए वे वहां जाकर बैठ गए और फिर धीरे-धीरे सबकुछ शांत होता गया.कई जन्मों की तलाश समाप्त हो गई.''




हर साल देश-विदेश से ओशो के अनुयायी 21 मार्च को भंवरताल पार्क में मौलश्री के वृक्ष के नीचे जमा होते हैं.ध्यान और साधना के साथ नृत्य में मग्न होकर अपने की देशना में रम जाते है.ओशो भक्त स्वामी अविनाश भारती के मुताबिक यह दिन हम लोगों के लिए किसी उत्सव जैसा है.पूरे दिन हम ओशो को उनकी देशना के मुताबिक याद करते हैं.


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