Madhya Pradesh News: अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अब श्रीलंका में माता सीता का भव्य मंदिर बन रहा है. इस मंदिर में माता सीता की विशाल प्रतिमा की 19 मई को प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी है. इस धार्मिक आयोजन में माता सीता का अयोध्या की सरयू नदी के जल से अभिषेक भी किया जाएगा.


इसके लिए केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने विशेष सहयोग किया है. इस भव्य और धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले से बीजेपी के विधायक अजय विश्नोई और डॉक्टर अखिलेश गुमास्ता श्रीलंका जा रहे हैं. वर्ल्ड रामायण कांफ्रेंस के अध्यक्ष अजय विश्नोई ने एबीपी न्यूज से चर्चा करते हुए कहा कि उनके लिए यह बड़ी सौभाग्य की बात है.


श्रीलंका सरकार ने उन्हें इस धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने का आमंत्रण दिया है. एमएलए और पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने बताया कि जिस तरह से अयोध्या में भव्य मन्दिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की गई है. उसी तर्ज पर श्रीलंका में भी माता सीता के पुराने मंदिर 'सीता अम्मन मंदिर' को नए सिरे से बनाया गया है.


इसी महीने होगी प्राण-प्रतिष्ठा
वहीं अब 19 मई को माता सीता की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी. वो 16 मई को अपनी पत्नी अलका विश्नोई और डॉक्टर अखिलेश गुमास्ता के साथ श्रीलंका की राजधानी कोलंबो पहुंचेंगे. इसके बाद 17 मई को कोलंबो से माता सीता की नवनिर्मित प्रतिमा को श्रीलंका के राष्ट्रपति एक समारोह में सीता वाटिका के लिए रवाना करेंगे. इस आयोजन से जुड़ा एक रोचक किस्सा भी अजय विश्नोई ने एबीपी न्यूज को बताया.


सरयू नदी के जल से होगा अभिषेक 
उन्होंने बताया कि श्रीलंका में नव निर्मित मंदिर में माता सीता की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या से सरयू नदी का जल भेजा जाना था. चूंकि, हवाई सेवा के नियमों के मुताबिक फ्लाइट में जल कलश ले जाना संभव नहीं था. इसलिए उन्होंने व्यक्तिगत रूप से नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मदद मांगी. इसके बाद सिंधिया की मदद से सरयू के जल कलश को कोलंबो ले जाने के लिए स्पेशल परमिशन दी गई.


बता दें सीता माता का मंदिर श्रीलंका के नुवारा एलिया इलाके में है. नुवारा एलिया इलाके से पांच किलोमीटर दूर सीता एलिया गांव में यह मंदिर लगभग बनकर तैयार हो चुका है. मान्यता है कि रामायण में इसी स्थान का उल्लेख अशोक वाटिका के नाम से है. यहां रावण ने माता सीता को रखा था. अब इस जगह का नाम सीता एलिया है.



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