Jharkhand News: जैनियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल और झारखंड की धरोहर पारसनाथ पहाड़ी (Parasnath) पर लगी आग (Fire) चिंता का विषय बन चुकी है. चिंता का विषय इसलिए क्योंकि ये आग लगभग दो हजार एकड़ एरिया में फैल गई है. इससे न सिर्फ जंगली जीव-जंतुओं को नुकसान हो रहा है, बल्कि इसमें जलकर कीमती जड़ी-बूटियां भी नष्ट हो रही हैं. बता दें कि, शुक्रवार से तीन सौ स्थानीय युवाओं का दल आग बुझाने के काम में जुट गया है. जैन समाज के संगठनों ने इस अभियान में जुटे युवाओं के भोजन-पानी का इंतजाम किया है.


पारसनाथ पहाड़ी के पूर्वी से पश्चिमी छोर तक को आग ने अपने आगोश में ले लिया है. वहीं आग की लपटों ने कहीं-कहीं बहुत विकराल रूप ले लिया है. गौरतलब है कि, जंगलों में महुआ और चिहुर चुनने के लिए ग्रामीण आग लगाते हैं. वहीं जागरूकता के अभाव में साफ-सफाई के लिए भी लोग आग लगाते हैं.जबकि तपती गर्मी में वही आग जंगल में फैलती चली जाती है और उसी आग के कारण पारसनाथ पहाड़ी जल रही है.


प्रशासनिक अधिकारियों ने की बैठक
गुरुवार को पारसनाथ पहाड़ में लगी आग को लेकर मधुबन गेस्ट हाउस में प्रशासनिक अधिकारियों, वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, वन विभाग और जैन और आदिवासी सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों की बैठक हुई. इस बैठक में बताया गया कि करीब दो हजार एकड़ एरिया में आग फैल गई है. बैठक में फैसला हुआ कि तीन सौ युवाओं का दल शुक्रवार से आग बुझाने के काम में जुटेगा और उनके पास आग बुझाने के सारे संसाधन होंगे. वन विभाग ने जहां युवाओं को जाल उपलब्ध कराया गया है. वहीं जैन संगठनों की ओर से उनके भोजन और पानी की व्यवस्था की गई है. गौरतलब है कि, पारसनाथ और मधुबन का इलाका वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के तहत आता है.


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