Notice Sent to Mehbooba Mufti: जम्मू-कश्मीर सरकार ने पीडीपी प्रमुख और पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को श्रीनगर में उच्च सुरक्षा वाले गुप्कर रोड पर अपना घर फेयर व्यू गेस्ट हाउस खाली करने के लिए कहा है. बीजेपी के समर्थन वापस लेने से पहले महबूबा के नेतृत्व वाली पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार को "सुरक्षा या किसी अन्य आधार" पर "अनुरोध" करने पर वैकल्पिक आवास की पेशकश की गई थी. आधिकारिक सूत्रों ने जीएनएस को बताया कि इस साल 15 अक्टूबर को महबूबा को भेजा गया नोटिस जम्मू-कश्मीर सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जे की बेदखली) अधिनियम, 1988 की धारा 4 की उप-धारा 1 के तहत जारी किया गया है.


उन्होनें बताया कि फेयर व्यू से बेदखल करने का नोटिस उनको कुछ ही दिन पहले दिया गया था. उन्होनें कहा यह उनके लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं है और उम्मीद के अनुरूप है. अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हालांकि नोटिस में उल्लेख किया गया है कि बंगला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के लिए है, लेकिन ऐसा नहीं है.


मुफ्ती मोहम्मद सईद को आवंटित था बंगला


 महबूबा मुफ्ती  ने बताया कि उनके पिता (मुफ्ती मोहम्मद सईद) को दिसंबर 2005 में आवंटित किया गया था, जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था. इसलिए जो प्रशासन ने आधार दिया है वो सही नहीं हैं. इस पर महबूबा मुफ्ती से सवाल किया गया कि क्या वह बंगला खाली कराने पर कानून की अदालत में नोटिस को चुनौती देंगी जिस पर पीडीपी प्रमुख ने कहा कि वह इस बात के लिए अपनी कानूनी टीम में मौजूद लोगों से सलाह लेंगी जिसके बाद ही वह किसी उचित निर्णय पर पहुचेंगी. उन्होंने कहा, ''मेरे पास ऐसी जगह नहीं है जहां मैं रह सकूं. इसलिए मुझे कोई भी निर्णय लेने से पहले अपनी कानूनी टीम से परामर्श करना होगा जिसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचुंगी.


जानिए क्या है फेयर व्यू गेस्ट हाउस का इतिहास


गेस्ट हाउस को "उप-जेल" घोषित किया गया था, जब महबूबा मुफ्ती को यहां ट्रांसपोर्ट यार्ड बिल्डिंग से स्थानांतरित कर दिया गया था, जबकि वह धारा 370 के निरसन के बाद सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत बुक की गई थी. संयोग से, 1989 तक, भवन का उपयोग आधिकारिक अतिथि गृह के रूप में किया जाता था और इसे फेयरव्यू गेस्ट हाउस के रूप में जाना जाता था. बाद में 1990 में इसे सीमा सुरक्षा बलों ने अपने कब्जे में ले लिया और अर्धसैनिक बलों ने इसका नाम पापा-2 रखा.


1996 में, तत्कालीन राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव अशोक जेटली वहां चले गए और इसे अपने निवास के रूप में इस्तेमाल किया. 2003 में इसे पुनर्निर्मित किया गया था और तत्कालीन वरिष्ठ पीडीपी नेता और उस समय के वित्त मंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग के निवास के रूप में कार्य किया गया था. 2005 के बाद से यह दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के गृह मंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद और उनकी बेटी महबूबा के निवास के रूप में कार्य करता है.