जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में गुरुवार को एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया. रतले बिजली परियोजना के अंतर्गत बनाए गए अस्थायी शेड अचानक भूस्खलन की चपेट में आ गए. इन शेडों का इस्तेमाल शौचालय के रूप में किया जा रहा था और उसी दौरान पांच लोग अंदर मौजूद थे. हादसे की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन ने त्वरित रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया और सभी पांच लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया.
यह घटना किश्तवाड़ के द्रबशाला इलाके में हुई. अचानक पहाड़ी से गिरे मलबे और पत्थरों ने परियोजना के टिन शेड को दबा दिया. शेड में मौजूद पांच लोग अंदर ही फंस गए थे, जिससे अफरातफरी मच गई. प्रशासन और स्थानीय लोगों की मदद से राहत एवं बचाव कार्य तेजी से शुरू किया गया और कुछ ही समय में सभी लोगों को बाहर निकाल लिया गया.
घायलों का अस्पताल में चल रहा इलाज
अधिकारियों ने बताया कि बाहर निकाले गए पांचों लोगों में से तीन को गंभीर चोटें आई हैं. इन्हें तत्काल डोडा के सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) अस्पताल में भर्ती कराया गया है. डॉक्टरों के मुताबिक सभी घायल खतरे से बाहर हैं और उन्हें लगातार चिकित्सा सुविधा दी जा रही है.
घटना के बाद प्रशासन सतर्कता
रेस्क्यू अभियान की निगरानी खुद किश्तवाड़ के उपायुक्त पंकज शर्मा कर रहे थे. उन्होंने पुष्टि की कि सभी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है और प्रशासन लगातार हालात पर नजर रखे हुए है. उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह से तैयार है और राहत कार्य में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी.
केंद्रीय मंत्री का बयान
घटना की जानकारी मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने किश्तवाड़ के उपायुक्त पंकज शर्मा से बातचीत की. उन्होंने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट कर जिला प्रशासन की त्वरित कार्रवाई की सराहना की.
डॉ. सिंह ने कहा कि इतनी गंभीर स्थिति में भी तुरंत कदम उठाकर पांच लोगों की जान बचाना काबिल-ए-तारीफ है. उन्होंने आश्वस्त किया कि घायलों को हर संभव चिकित्सा सुविधा और अन्य सहायता उपलब्ध कराई जा रही है.
लोगों ने ली राहत की सांस
भूस्खलन की यह घटना निश्चित रूप से चिंता का विषय रही, लेकिन जिला प्रशासन और रेस्क्यू टीम की तेज कार्रवाई ने एक बड़ी त्रासदी को टाल दिया. स्थानीय लोगों ने भी राहत की सांस ली और प्रशासन के प्रयासों की सराहना की.