जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चशोती गांव में गुरुवार (14 अगस्त) की दोपहर बादल फटने से विनाशकारी तबाही आई. बाढ़ के बाद माहौल शोक से भरा हुआ है और लापता लोगों के परिजन बेसब्री से अपने प्रियजनों के मिलने की आस लगा रहे हैं.
इस त्रासदी में 60 से अधिक लोगों की मौत की खबर है. इनमें से अधिकतर तीर्थयात्री हैं. लापता लोगों की संख्या अब तक पता नहीं लग सकी है. बचावकर्मी मलबे में दबे लोगों का पता लगाने के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं.
दो पुजारियों सहित कम से कम 13 स्थानीय ग्रामीणों के इस बाढ़ में मारे जाने की आशंका है. बादल फटने से अचानक आई बाढ़ में विशाल पत्थर, लकड़ियां और भारी मात्रा में गाद बहकर आई है, जिससे पहाड़ों से घिरा यह सुरम्य गांव खंडहर में तब्दील हो गया है.
मंदिर में पुजारियों के साथ थे 15 लोगगमगीन निर्मला देवी ने शुक्रवार को कहा, ‘‘मेरे पिता बोध राज और चाचा दीनानाथ स्थानीय मंदिर में पुजारी का काम करते थे. वे दोनों, लगभग 15 लोगों के साथ, अचानक आई बाढ़ में बह गए. उन्होंने मुझे माथे पर तिलक लगाने के लिए कहा था, लेकिन मैंने मना कर दिया और त्रासदी आने से पहले ही वहां से चली गई.’’
घटनाक्रम को याद करते हुए, उन्होंने बताया कि वह गेहूं पिसाने के लिए एक चक्की पर गई थी और घर लौटते समय मंदिर गई.
'वहां रुकती तो हादसे का शिकार हो जाती'निर्मला ने बताया, ‘‘मैंने पिता को लगभग 20 भक्तों के बीच बैठे देखा. वह उनके माथे पर तिलक लगा रहे थे और मुझे भी आगे आने को कहा. मैंने बताया कि मेरे चाचा ने सुबह मेरे माथे पर तिलक लगाया था. अगर मैं वहां चाय-नाश्ते या दोपहर के भोजन के लिए रुकती, तो मैं भी हादसे का शिकार हो जाती.’’
3 मंदिर, 10 घर, एक पवनचक्की क्षतिग्रस्तगांव और निचले इलाकों में अचानक आई बाढ़ में इस मंदिर के अलावा 10 से अधिक आवासीय मकान, छह सरकारी भवन, दो अन्य मंदिर, चार पवन चक्की, एक पुल और एक दर्जन से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए.
अपनी आंखों से देखा मंदिर का विनाशनिर्मला ने कहा, ‘‘एक जोरदार धमाके की आवाज सुनकर, मुझे लगा जैसे भूकंप आ गया हो. मैं रो पड़ी और ऊपर जाकर देखने लगी कि क्या हो रहा है. मंदिर के विनाश सहित, तबाही का मंजर देखकर मैं डर गई.’’
5 सितंबर तक चलनी थी मचैल माता यात्राकिश्तवाड़ जिले के एक सुदूर पहाड़ी गांव चशोती में 14 अगस्त को बादल फटने से यह हादसा हुआ. मचैल माता मंदिर जाने वाले मार्ग में पड़ने वाले चशोती गांव में यह आपदा दोपहर 12.25 पर आई. जिस समय हादसा हुआ, उस समय मचैल माता मंदिर यात्रा के लिए वहां बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे.यह यात्रा 25 जुलाई को आरंभ हुई थी और पांच सितंबर को समाप्त होनी थी.
स्थानीय ने बताई आपदा की दर्दनाक कहानीत्रासदी में अपना घर गंवाने वाले पीड़ितों में से एक बिलु कुमार ने बताया कि इस घटना में गांव के कम से कम 13 स्थानीय लोगों की जान चली गई. उन्होंने कहा, ‘‘उनमें से 10 के शव बरामद कर लिए गए, जबकि तीन का अब भी पता नहीं चल पाया है.’’
जम्मू-कश्मीर पुलिस के हेड कांस्टेबल रमेश चंदर ने बताया कि वह यात्रा मार्ग में लंगर स्थल पर तैनात थे और बादल फटने की आवाज सुनकर डर गए थे. चंदर ने कहा, ‘‘मेरे पैरों तले जमीन हिलने लगी. मैंने देखा कि जो लोग समय पर भाग नहीं पाए, वे दब गए या बह गए. मंजर बहुत भयावह था.’’