पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और हंदवाड़ा के विधायक सज्जाद लोन ने शुक्रवार (15 अगस्त) को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की ओर से स्वतंत्रता दिवस पर राज्य के दर्जे के लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू करने की घोषणा पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने इस अभियान का 'मजाक' उड़ाने के खिलाफ चेतावनी दी और एक सम्मानजनक, संवैधानिक रास्ता अपनाने का आग्रह किया. उन्होंने इसे 'बचकाना' करार दिया.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "हम राज्य के दर्जे की दिशा में किसी भी आंदोलन का समर्थन करेंगे. लेकिन कृपया राज्य के दर्जे का मज़ाक न उड़ाएं. हम पहले से ही सुप्रीम कोर्ट का रुख करने वाले 'टॉम, डिक और हैरी' के प्रभाव से जूझ रहे हैं. आइए हम सुप्रीम कोर्ट का रुख एक संवैधानिक संस्था के रूप में करें, न कि एक और 'टॉम, डिक और हैरी' के रूप में. हस्ताक्षर अभियानों की कोई कानूनी या संवैधानिक पवित्रता नहीं है."
CM उमर अब्दुल्ला को सज्जाद लोन की चुनौती
उन्होंने सीएम उमर अब्दुल्ला को चुनौती दी कि वे 'एक बार और हमेशा के लिए' विधानसभा में राज्य के दर्जे के लिए प्रस्ताव पारित कराने में अपनी अनिच्छा का स्पष्टीकरण दें, जो भारत के चुनाव आयोग द्वारा निर्वाचित एक संवैधानिक निकाय है.
हमारे प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट पर बाध्यकारी नहीं- सज्जाद लोन
उन्होंने जोर देकर कहा, "हमारे प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट पर बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन उनमें संवैधानिक गरिमा निहित होगी. यह देश की सर्वोच्च अदालत के लिए एक संवैधानिक संदेश होगा. राजनीतिक या हस्ताक्षर अभियानों की कोई कानूनी या संवैधानिक पवित्रता नहीं होती. भारत या दुनिया में कहीं भी, अनुभवजन्य रूप से ऐसी एक घटना बताइए जहां हस्ताक्षर अभियानों ने कानूनी व्याख्याओं को बदल दिया हो. वे स्वीकार्य भी नहीं हैं."
विधानसभा की अवमानना और तिरस्कार का आरोप
यह याद करते हुए कि 'यासीन मलिक ने भी आजादी के लिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाया था, वह अभियान कहां तक पहुंचा था." लोन ने उमर अब्दुल्ला पर उसी विधानसभा के प्रति 'अवमानना और तिरस्कार" दिखाने का आरोप लगाया जिसने उन्हें मुख्यमंत्री का पद दिया. उन्होंने पूछा, "आप अपनी शक्ति, सुविधाएं और मुख्यमंत्री पद विधानसभा से प्राप्त करते हैं. उसी संस्था के प्रति यह अवमानना क्यों जिसने आपको मुख्यमंत्री बनाया है?"
सज्जाद लोन का उमर अब्दुल्ला की चुप्पी पर सवाल
लोन ने हालिया अदालती कार्यवाही के दौरान उमर अब्दुल्ला की चुप्पी और निष्क्रियता पर सवाल उठाया, जिसके बारे में उन्होंने कहा, "सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए लद्दाख को एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने की सहमति की पुष्टि की गई." उन्होंने जोर देकर कहा, "आप कहां सो रहे थे? आपकी सरकार कहां सो रही थी? आपने यह सुनिश्चित क्यों नहीं किया कि सुप्रीम कोर्ट में कोई प्रस्ताव भेजा जाए? क्या आप सिर्फ सत्ता का आनंद लेने के लिए मुख्यमंत्री हैं और उसके साथ आने वाली जिम्मेदारियों को स्वीकार नहीं करते?"
बचकाना और अपरिपक्व रवैया बंद करें-सज्जाद लोन
उन्होंने आगे कहा, "मैं आपसे विनती करता हूं, कृपया यह बचकाना और अपरिपक्व रवैया बंद करें. हम किसी भी अभियान का बिना शर्त समर्थन करेंगे. लेकिन कृपया यह सुनिश्चित करें कि केंद्र शासित प्रदेश विधानसभा से भी एक प्रस्ताव पारित होकर सुप्रीम कोर्ट भेजा जाए. हम जीवन भर की लड़ाई लड़ रहे हैं. घर-घर जाकर हस्ताक्षर अभियान सिर्फ़ नाटकबाज़ी है. मुझे बताइए, सुप्रीम कोर्ट बहुसंख्यकों के दावों के प्रति जवाबदेह है या क़ानून के प्रति? बहुसंख्यकवाद राजनेताओं का आचरण है. सुप्रीम कोर्ट क़ानून का आचरण करता है."
मुख्यमंत्री से अपनी 'उम्र और कद' के हिसाब से काम करने और नाटकबाजी बंद करने का आग्रह करते हुए लोन ने कहा, "राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित करें. सुप्रीम कोर्ट जाने का यही सबसे सम्मानजनक तरीका है. राज्य का दर्जा न देने का माहौल न बनाएं. यह कोई वीडियो गेम नहीं है और कृपया मुझे बताएं. क्या आप प्रस्ताव पारित न करके राज्य भाजपा को बचा रहे हैं और उन्हें राज्य के दर्जे पर कोई रुख न अपनाने की छूट दे रहे हैं?"