जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले में भूस्खलन के बाद से जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे बंद था. इसके चलते लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा. रणनीतिक रूपसे महत्वपूर्ण इस हाई को अब बुधवार (10 सितंबर) की सुबह आंशिक रूप से खोला गया है.
फंसे हुए हल्के मोटर वाहनों (LMV) को सुबह 9:20 बजे से आवाजाही की अनुमति दे दी गई है. इससे फंसे हुए यात्रियों को आंशिक राहत मिली है, जबकि भारी वाहनों की आवाजाही तब तक नहीं हो सकेगी जब तक हाईवे पूरी तरह बहाल नहीं कर दिया जाता.
हाईवे पर मलबा हटाने और प्रभावित हिस्से को स्थिर करने के लिए युद्धस्तर पर कोशिशें जारी हैं. भारी बारिश के बीच उधमपुर के पास थराद इलाके में जम्मू-श्रीनगर हाईवे बुरी तरह प्रभावित हुआ. सड़क का 250 मीटर से ज्यादा का हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था.
फल मंडी और सेब उद्योग को 700 करोजड का नुकसानएक पूरी पहाड़ी के खिसककर हाईवे पर आ जाने से फलों से लदे सैकड़ों ट्रक फंस गए थे. सड़क बंद होने से एशिया की दूसरी सबसे बड़ी फल मंडी सोपोर को अनुमानित 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है, जबकि सेब उद्योग को कुल 500 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है.
ट्रकों में सड़ रहे सेबस्थानीय फल उत्पादकों ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह व्यवधान सेब के चरम मौसम के दौरान आया है. एक उत्पादक ने कहा, "हमारे सेब ट्रकों के अंदर सड़ रहे हैं. यह हमारी कटाई का सबसे महत्वपूर्ण समय है, और राजमार्ग बंद होने से हम नुकसान के कगार पर पहुंच गए हैं."
उत्पादकों ने उच्च अधिकारियों से राजमार्ग पर यातायात सुचारू करने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की है ताकि देश के विभिन्न हिस्सों में फलों की खेप का समय पर परिवहन सुनिश्चित हो सके. सड़क पर खाद्य और अन्य आवश्यक वस्तुओं से लदे ट्रकों सहित भारी वाहनों की आवाजाही बंद होने से कश्मीर और चिनाब घाटी में आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई है और हज़ारों यात्री परेशान हैं.
अनुमान से कहीं ज्यादा थी आपदाभारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि यह आपदा उनके शुरुआती अनुमानों और प्रयासों से कहीं ज़्यादा थी. लंबे समय तक बंद रहने के कारण उधमपुर, जम्मू और कश्मीर में राजमार्ग के दोनों ओर मालवाहक और यात्री वाहन हज़ारों ट्रक फंसे रहे.
दैनिक यात्रियों को भारी कीचड़ और कीचड़ से भरे इलाकों को पैदल पार करना पड़ा, यहां तक कि कई लोगों को बाली नाला और थराद से होकर आगे बढ़ने के लिए अपने जूते भी उतारने पड़े. एनएचएआई के परियोजना निदेशक शुभम यादव ने बताया कि मंगलवार शाम को मरम्मत कार्य अपने अंतिम चरण में पहुंच गया और बुधवार सुबह यातायात बहाल हो गया.
उन्होंने कहा, "सोमवार की बारिश के कारण मलबा और कीचड़ हटाने का काम धीमा हो गया था, लेकिन आज मौसम साफ होने के कारण काम बिना किसी रुकावट के चल रहा है." शुभम यादव ने बताया कि आने वाले दिनों में दो तरफा यातायात के लिए थराद के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में 250 मीटर लंबी दोतरफा अस्थायी सड़क बनाई गई है.