Kashmir News: ऐसे समय में जब कश्मीर के किसान (Kashmir Farmer) उच्च घनत्व वाले सेब के बागों की ओर जा रहे हैं, दो बुजुर्ग किसानों ने नकदी फसलों को उगाने के लिए नई कृषि तकनीक का इस्तेमाल किया है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि नकदी फसलों की ऐसी इनोवेटिव खेती कश्मीर के कृषि क्षेत्र में भारी बदलाव ला सकती है. 74 साल के अब्दुल अहद वानी ने श्रीनगर के बाहरी इलाके में अपने आद्र्रभूमि (Wetland) में 'नदरू' (कमल का तना) उगाना शुरू कर दिया है.


खाने वाले कमल के तने केवल कश्मीर के प्रसिद्ध डल और मंसबल झीलों में उगाए जाते हैं, लेकिन वानी उन्हें पम्पोर बेल्ट के ऊंचे क्षेत्र में स्थित खोनमोह के पहाड़ी इलाके में गीली मिट्टी में उगा रहे हैं. यह जगहें केसर की खेती के लिए प्रसिद्ध हैं. वानी कहते हैं कि उनकी जमीन में नदरू उगाने का नया विचार तब आया जब धान और मक्का की फसलें नहीं उग पाईं क्योंकि, उनकी जमीन में हमेशा जलभराव रहता था.


कश्मीरी किसान अब्दुल अहद वानी अब करेंगे चेस्टनट के साथ प्रयोग


वानी का कहना है कि, मैंने विशेषज्ञों से सलाह ली जिन्होंने मुझे नदरू उगाने का सुझाव दिया. शुक्र है कि मेरा प्रयोग सफल हो गया. मेरी फसल बाजार में बिक्री के लिए तैयार है. उन्हें एक कनाल जमीन से 10 क्विंटल से ज्यादा नदरू की उम्मीद है. वह कहते हैं- मैं अब चेस्टनट के साथ प्रयोग करूंगा.


प्रगतिशील किसान कहते हैं कि उन्होंने पानी उपलब्ध रखने के लिए नलकूप खोदा क्योंकि उस इलाके में सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है. वानी का कहना है कि वह अपनी उपज को स्थानीय बाजार में 150 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं, जिसे वह धान या मक्का से नहीं कमा सकते थे.


सेब के शहर में सोपोर में शुरु हुई कीवी खेती


एक अन्य प्रगतिशील किसान सोपोर के बशीर अहमद वार हैं, जिन्होंने अपनी भूमि में कीवी उगाए हैं. सेब के शहर सोपोर में कीवी उगाने का अहमद वार का विचार तब आया जब वह कुछ साल पहले शिमला आए थे. सोपोर जम्मू और कश्मीर की सेब की राजधानी है जहां अक्सर जमींदार सेब की खेती करते हैं. लेकिन अहमद कीवी उगा रहा है जिससे उन्हें सेब से ज्यादा पैसे मिलते हैं.


उनका कहना है कि सेब उगाने के लिए बहुत अधिक मेहनत और कीटनाशकों की आवश्यकता होती है, जो बाजार में मंदी के दौर में किसान के बोझ को बढ़ा देता है. कीवी में कम कीटनाशक और कम मेहनत करनी पड़ती है, इसलिए किसान इस नकदी फसल से अधिक पैसा प्राप्त कर सकता है.


कृषि विभाग किसानों को करता रहा है प्रोत्साहित


यह प्रगतिशील किसान सरकार और विशेषज्ञों का दिल जीत रहे हैं. निदेशक कृषि कश्मीर, चौधरी इकबाल ने कहा कि अहमद और वानी कश्मीर के कृषि क्षेत्र में ट्रेंड सेटर हैं और नई प्रथाओं का प्रयोग कर रहे हैं. कृषि विभाग हमेशा ऐसे किसानों को प्रोत्साहित करता है और उनके लिए पुरानी पारंपरिक प्रथाओं के बजाय नकदी फसल उगाने की सुविधा के लिए उपलब्ध है.


उनका कहना है कि आधुनिक और नई कृषि तकनीक कीटनाशकों और श्रम के लिए किसानों के बोझ को कम करती हैं. वह कहते हैं, कश्मीर की उपजाऊ मिट्टी कई नकदी फसलों के लिए उपयुक्त है, जो किसानों को समृद्ध बना सकती है और वह आजीविका की तलाश करने के बजाय रोजगार सृजक बन सकते हैं.


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