Jammu-Kashmir Lok Sabha Elections 2024: जम्मू-कश्मीर बीजेपी अध्यक्ष रविंदर रैना ने मंगलवार को पुंछ जिले में एक चुनावी बैठक के दौरान 'नफरत फैलाने वाले भाषण और असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने' के लिए पार्टी के एक वरिष्ठ नेता को निष्कासित कर दिया. पुंछ जिला अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है. जहां लोकसभा चुनाव के छठवें चरण में 25 मई को मतदान होना हैं.


अनंतनाग-राजौरी संसदीय से पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता मियां अल्ताफ के बीच कड़ा है. इसके अलावा इस सीट पर 19 अन्य प्रमुख उम्मीदवारों में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के मोहम्मद सलीम पारे और जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के नेता जफर इकबाल खान मन्हास शामिल हैं.


6 साल के पार्टी की सदस्यता से निष्कासित
रैना ने पुंछ जिले के प्रवक्ता सतीश भार्गव को "घोर अनुशासनहीनता" और "असंसदीय भाषा और घृणास्पद भाषण" का उपयोग करने के लिए छह साल की अवधि के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित करने का आदेश दिया. जम्मू-कश्मीर बीजेपी प्रमुख ने पार्टी की अनुशासन समिति के अध्यक्ष सुनील सेठी की सिफारिश के आधार पर आदेश पारित किया. सेठी ने पुंछ जिले के मेंढर इलाके में एक बैठक में भार्गव द्वारा धमकी भरे भाषण देने और असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने के एक वीडियो का जिक्र किया.


बीजेपी जैसी अनुशासित पार्टी में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं
सुनील सेठी की तरफ से कहा गया कि यह बेहद निंदनीय है एक वरिष्ठ नेता का ऐसा व्यवहार घोर अनुशासनहीनता है और इसे बीजेपी जैसी अनुशासित पार्टी में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. ऐसी सिफारिश की जाती है कि उन्हें तुरंत छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया जाना चाहिए, ”सेठी ने कहा,“ इस मामले में जांच की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उनका आचरण रिकॉर्ड किया गया है.


‘मुसलमानों को निशाना बनाकर डराने-धमकाने की घटनाएं हुई’
इस बीच, पीडीपी ने लोगों को अपनी पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने के लिए मजबूर करने के लिए "डराने-धमकाने की रणनीति" के लिए निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग अधिकारी के पास बीजेपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. पीडीपी नेता और पूर्व एमएलसी फिरदौस टाक ने अपनी शिकायत में कहा, “यह हमारे ध्यान में आया है कि पहाड़ी मुसलमानों को निशाना बनाकर डराने-धमकाने की चिंताजनक घटनाएं हुई हैं, जिसका उद्देश्य उनके मतदान विकल्पों को प्रभावित करना है. विशेष रूप से, यह बताया गया है कि बीजेपी के प्रतिनिधि पहाड़ी मुसलमानों को खुलेआम धमकियां दे रहे हैं, यह सुझाव देते हुए कि यदि वे संघ परिवार यानी अपनी पार्टी द्वारा समर्थित उम्मीदवार को वोट देने में विफल रहे तो 1947 की घटनाओं की पुनरावृत्ति हो सकती है. 


‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांतों का उल्लंघन’
फिरदौस टाक जो पार्टी की शक्तिशाली राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य भी हैं. उन्होंने सतीश भार्गव के वीडियो को लेकर कहा कि इस तरह की निंदनीय रणनीति न केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है, बल्कि भय और जबरदस्ती पैदा करके लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी कमजोर करती है. मतदाता” मामले की गहन जांच की मांग करते हुए फिरदौस टाक ने सभी मतदाताओं, विशेषकर उन लोगों की सुरक्षा की गारंटी के लिए उचित उपाय करने को कहा, जो इस तरह की डराने-धमकाने वाली रणनीति के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं.


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