जम्मू: जम्मू कश्मीर के ऊपर राज्यपाल मनोज सिन्हा ने यूनियन टेरिटरी स्तर की सुरक्षा सम्मेलन की अध्यक्षता की जिसमें 'विकसित भारत: सुरक्षा आयाम' विषय पर विस्तार से चर्चा की गई. इस सम्मेलन में लेफ्टिनेंट गवर्नर ने आतंकवादियों, उन्हें मदद करने वालों और विचारधारा फैलाने वालों के खिलाफ समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि उनके इकोसिस्टम और सुरक्षित ठिकानों को खत्म किया जा सके. 

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जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने जम्मू में डीजीपी/आईजीपी सम्मेलन की तर्ज पर UT स्तरीय सम्मेलन की अध्यक्षता की. अपने संबोधन में, लेफ्टिनेंट गवर्नर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी औ गृह मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में, यूटी स्तरीय सुरक्षा सम्मेलन आतंकवाद के सभी रूपों का मुकाबला करने के लिए पूरे सरकारी दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए विचार-विमर्श और सहयोग का केंद्र होगा.

सम्मेलन के दौरान क्या बोले मनोज सिन्हा?

कार्यक्रम के बीच मनोज सिन्हा ने यह भी कहा कि इस साल रायपुर में डीजीपी आईजीपी सम्मेलन के दौरान, 'विकसित भारत: सुरक्षा आयाम' विषय पर विस्तार से चर्चा की गई, जो तेजी से बदलती दुनिया की मांगों को पूरा करने के लिए हमारे पुलिस संस्थानों को बदलने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

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लेफ्टिनेंट गवर्नर ने कहा, "2019 के बाद से सुरक्षा के क्षेत्र में जो असली फायदे हुए हैं. उनकी रक्षा करनी होगी और घाटी, जंगल, पहाड़ियों या गांवों में काम करने वाले हर एक आतंकवादी और उसके समर्थक को खत्म करना होगा." मनोज सिन्हा ने कहा कि पिछले 6 सालों में हमने सुरक्षा ग्रिड को मजबूत किया है.

आतंकवादी हिंसा पर बोले मनोज सिन्हा

J&K पुलिस, सेना, खुफिया एजेंसियों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) के मिले-जुले प्रयासों से आतंकवादी हिंसा, सक्रिय आतंकवादियों की संख्या और भर्ती में काफी कमी आई है. हथियारबंद आतंकवादियों और उनके समर्थकों, OGWs और आम नागरिकों को डराने वाले तत्वों के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें अपने कामों के लिए बहुत भारी कीमत चुकानी पड़े.

लेफ्टिनेंट गवर्नर ने बदलते खतरों से निपटने, खुफिया क्षमताओं को बढ़ाने और नई उम्र की सुरक्षा चुनौतियों के लिए अगले स्तर का सुरक्षा ग्रिड बनाने की रणनीतियों पर भी चर्चा की.लेफ्टिनेंट गवर्नर ने कहा कि हाल के सालों में सुरक्षा खतरों का स्वरूप बहुत बदल गया है. उन्होंने कहा कि हमें रिएक्टिव से प्रोएक्टिव सुरक्षा रणनीतियों की ओर बढ़ना होगा और आतंकवाद, टेरर फाइनेंसिंग, कट्टरपंथ और नार्को-टेररिज्म के खतरों का मुकाबला करने के लिए AI जैसे आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करना होगा.