आई लव मोहम्मद के बैनर को लेकर यूपी के कानपुर से शुरू हुआ विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. इस बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह तीन अल्फाज लिख देने से किसी को ऐतराज क्या है? मुझे समझ नहीं आता है कि गिरफ़्तारी की क्या वजह बनती है? जो दिमागी तौर पर बीमार होगा वही ऐसा कर रहा है, वही केस कर सकता है. अदालत इस मामले को देखे. आई लव मोहम्मद लिख देना क्या गलत है, कैसे गैरकानूनी है? क्या बाकी मजहब के लोग ईश्वर के बारे में नहीं लिखते?

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उमर अब्दुल्ला ने पूछा, ''क्या हमारे सिख भाई ,हिन्दू भाई अपने भगवान के बारे में ऐसा नहीं लिखते. हर हिन्दू भाई की गाड़ी में भगवान की तस्वीर होती है. अगर यह गलत नहीं है तो आई लव मोहम्मद कह देना कैसे गलत हो गया.'' 

कैसे शुरू हुआ विवाद?

विवाद की शुरुआत यूपी के कानपुर में 4 सितंबर को बारावफात (ईद-ए-मिलादुन्नबी) के जुलूस के दौरान रावतपुर इलाके में हुई. जुलूस के रास्ते में 'आई लव मोहम्मद' का बैनर लगाया गया. इस पर स्थानीय हिंदू संगठनों ने आपत्ति जताई. इस दौरान हिंदू और मुस्लिम दोनों समूहों ने एक-दूसरे पर पोस्टर फाड़ने का आरोप लगाया.

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9 सितंबर को कानपुर पुलिस ने 24 लोगों पर बारावफात जुलूस में नई परंपरा लाने और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का मामला दर्ज किया. इसी के बाद विवाद और बढ़ गया और देश के कई हिस्सों में आई लव मोहम्मद के पोस्टर लगाए गए.

पूर्ण राज्य के दर्जे पर सीएम का बयान

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एकबार फिर बुधवार (24 सितंबर) को पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग की. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों में बीजेपी की विफलता की सजा जम्मू-कश्मीर के लोगों को राज्य का दर्जा बहाल करने में देरी करके दी जा रही है. 

श्रीनगर में उमर अब्दुल्ला ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि तीन चरणों वाली प्रक्रिया होगी - परिसीमन, चुनाव और फिर राज्य का दर्जा. परिसीमन पूरा हो चुका है, चुनाव हुए हैं और लोगों ने इसमें भाग लिया है. दुर्भाग्य से, बीजेपी नहीं जीत पाई, लेकिन यह राज्य का दर्जा देने से इनकार करने का कारण नहीं हो सकता. यह अन्याय है.”