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जम्मू-कश्मीर कैबिनेट ने मंगलवार (23 सितंबर) को उपराज्यपाल को सिफारिश की है कि विधानसभा का शरदकालीन सत्र 13 अक्टूबर से बुलाया जाए. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में 22 सितंबर को शुरू हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया. इसमें सभी पांच कैबिनेट मंत्री मौजूद थे और चर्चा के बाद यह फैसला लिया गया.

कैबिनेट ने तय किया कि यह सत्र छोटा होगा इसका मतलब 13 से 20 अक्टूबर तक सात दिनों तक चल सकता है. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के तहत, एक सत्र की अंतिम बैठक और अगले सत्र की पहली बैठक के बीच छह महीने से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए. चूंकि पिछली बैठक 29 अप्रैल को हुई थी, इसलिए अगला सत्र 28 अक्टूबर तक आयोजित करना अनिवार्य है. इसी नियम को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है.

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सत्र के दौरान इन मुद्दों पर होगी चर्चा

सूत्रों के अनुसार इस सत्र में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है. राज्य का दर्जा, आरक्षण नीति, डोडा के विधायक मेराज मलिक की नजरबंदी और हाल ही में आई बाढ़ व भूस्खलन से बागवानी व बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान पर सरकार को घेरा जा सकता है. इससे पहले भी इन मुद्दों पर विपक्ष ने सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे और इस बार भी सदन में इन पर जोरदार बहस होने की उम्मीद है.

पिछले सत्र में वक्फ संशोधन पर हुई थी बहस

पिछले विधानसभा सत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर लाए गए स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार किए जाने के बाद सदन में काफी व्यवधान हुआ था. उस दौरान राज्य के दर्जे पर लाए गए तीन प्रस्ताव रद्द हो गए थे. वहीं आरक्षण का मुद्दा भी बार-बार उठता रहा और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष व हंदवाड़ा से विधायक सज्जाद गनी लोन ने इस पर सरकार की कड़ी आलोचना की थी. मौजूदा सत्र में इन विषयों पर दोबारा जोरदार चर्चा और टकराव की संभावना जताई जा रही है.