जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार (20 सितंबर) को कहा कि जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) अध्यक्ष यासीन मलिक के मामले को राजनीति से जोड़ना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि यह मामला पूरी तरह अदालत पर छोड़ देना चाहिए. उमर ने जोर देकर कहा कि मलिक ने हथियार डालने के बाद बातचीत का रास्ता चुना और हमेशा बातचीत के पक्षधर रहे हैं.

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यह बयान ऐसे समय आया है जब पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर यासीन मलिक के खिलाफ मामलों में मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की मांग की है. महबूबा का कहना है कि मलिक ने हिंसा छोड़कर लोकतांत्रिक तरीके से राजनीति करने का रास्ता चुना है.

राजनीति करने की जरूरत नहीं- उमर अब्दुल्ला

उमर अब्दुल्ला ने कहा, "राजनीति करने की कोई जरूरत नहीं है. चाहे उनकी राजनीतिक विचारधारा कुछ भी हो, मैं बस इतना जानता हूं कि उन्होंने चाहे जैसे भी शुरुआत की हो, उन्होंने हथियार डाल दिए और शांति का रास्ता अपनाया. उन्होंने बातचीत के जरिए मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की और हमेशा बातचीत के पक्षधर रहे."

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अदालतों पर छोड़ दें फैसला

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि अदालतों को स्वतंत्र रूप से फैसला करने देना चाहिए. उन्होंने कहा, "अदालती फैसले अदालतों पर छोड़ देने चाहिए. अदालतों पर राजनीतिक दबाव डालना अच्छी बात नहीं है."

मलिक के खिलाफ कई मामले

यासीन मलिक फिलहाल आतंक वित्तपोषण के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. उन्हें फरवरी 2019 में गिरफ्तार किया गया था. इसके अलावा उन पर कई और मामले भी चल रहे हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण और 1990 में रावलपोरा में भारतीय वायुसेना कर्मियों पर हमले का केस शामिल है.

बाढ़ पीड़ितों के लिए मदद की उम्मीद

यासीन मलिक के मामले के अलावा मुख्यमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में आई हाल की बाढ़ पर भी चिंता जताई. उन्होंने बताया कि इस बाढ़ ने प्रदेश में भारी तबाही मचाई है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आने वाली जम्मू-कश्मीर यात्रा को लेकर उमर ने कहा, "प्रधानमंत्री आ रहे हैं और हम उन्हें स्थिति और लोगों को हुए नुकसान से अवगत कराएंगे. हमें उम्मीद है कि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक अच्छा पैकेज प्रदान करेंगे."