जम्मू कश्मीर में सोमवार (28 अप्रैल) को एक दिन के लिए विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाया गया. ये विशेष सत्र पहलगाम में जान गंवाने वाले 26 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए बुलाया गया. इस दौरान सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ कि श्रीनगर की जामिया मस्जिद और दूसरी मस्जिदों में जुमे की नमाज से पहले दो मिनट का मौन रखा गया. पहलगाम हमले के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में हुए विरोध का जिक्र करते हुए उन्होंने ये बात कही.

लोगों का आक्रोश उम्मीद की किरण- सीएम

सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस हमले के खिलाफ सड़कों पर लोगों का आक्रोश दिखा. लोगों का ये आक्रोश उम्मीद की किरण जताया है. ये उम्मीद जगाता है कि लोगों के सहयोग से जल्द ही आतंकवाद का खात्मा हो सकता है. सीएम ने कहा कि आतंकवाद या उग्रवाद तभी खत्म होगा जब लोग हमारे साथ होंगे. उन्होंने कहा कि आतंकी हमले के खिलाफ लोगों के आक्रोश को देखते हुए अगर हम कोई उचित कदम उठाते हैं तो ये इसके खत्म होने की शुरुआत है.

25 मिनट से ज्यादा समय तक दिया भाषण

विधानसभा में मुख्यमंत्री ने 25 मिनट से ज्यादा समय तक भाषण दिया. उन्होंने कहा, "हमें ऐसी कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जिससे लोग अलग-थलग पड़ जाएं. हम बंदूक से आतंकवादी को नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन अगर लोग हमारे साथ हैं तो हम आतंकवाद को खत्म कर सकते हैं. मुझे लगता है कि अब समय आ गया है जब लोग उस दिशा की ओर बढ़ रहे हैं.”

'पूरे देश को इसका नुकसान उठाना पड़ा'

मुख्यमंत्री ने हमले में मारे गए नागरिकों का जिक्र करते हुए कहा कि पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक पूरे देश को इस जघन्य हमले के कारण नुकसान उठाना पड़ा है. उन्होंने ये भी कहा, “यह जम्मू-कश्मीर में अपनी तरह का पहला हमला नहीं था, अमरनाथ यात्रा शिविर, डोडा के गांवों, कश्मीरी पंडितों और सिख बस्तियों पर गोलीबारी जैसी कई घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं लेकिन नागरिकों के खिलाफ बैसरन की घटना 21 साल के अंतराल के बाद हुई.”