पहाड़ों की रानी शिमला में गत दिनों पहले लोअर बाज़ार के दोनों छोर पर लोअर माल के साइन बोर्ड लगाने का मामला गरमा गया है. शिमला के लोअर बाज़ार के शुरू शेरे पंजाब और अंत में उपायुक्त कार्यालय के समीप लोअर माल के साइन बोर्ड लगाए गए. इन बोर्ड को लेकर सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल किया गया. माल रोड व्यापारिक एसोसिएशन ने भी इसका विरोध जताया. हालांकि लोअर बाजार के व्यापारी इस साइन बोर्ड के लगाने के पक्ष में नज़र आए. इन बोर्ड को लेक माल रोड और लोअर बाजार के व्यापारी दो धड़ों में बंटे गए हैं.
उधर आनन फानन में नगर निगम ने बिना अनुमति के लगे इन साइन बोर्ड को लेकर पीडब्ल्यूडी विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. नगर निगम महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि यह मामला मीडिया के माध्यम से उनके संज्ञान में आया है. इन साइन बोर्ड को लगाने की किसी प्रकार को अनुमति नही ली गई है.जबकि नगर निगम को परिधि में अगर कोई बोर्ड या होर्डिंग्स लगाए जाते हैं तो उसके लिए नगर निगम को अनुमति लेना जरूरी है.
ब्रिटिश काल में लोअर माल था नाम
नगर निगम आयुक्त से प्राप्त जानकारी से पता चला कि यह साइन बोर्ड पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा लगाए गए है. उन्होंने कहा कि इस साइन बोर्ड को लेकर कुछ व्यापारियों का विरोध भी था और वह नगर निगम आयुक्त से भी मिले हैं. दरअसल कुछ लोग ये कह रहे हैं कि लोअर बाजार का नाम ब्रिटिश काल के दौरान लोअर माल था. लेकिन इसका कोई लिखित प्रमाण नहीं है. फिलहाल इसे लोअर बाजार के नाम से ही जाना जाता है.
व्यापारियों को ऐतराज नहीं
वहीं शिमला व्यापार मंडल के पूर्व प्रधान इंदरजीत सिंह व वर्तमान प्रधान संजीव ठाकुर ने कहा कि इन साइन बोर्ड से कोई आपत्ति नही है. लेकिन अगर यह नाम बदल गया है तो क्यों और किसने बदला है. यह जानना आवश्यक है. साथ ही लोअर बाजार का नाम ब्रिटिशकाल समय मे लोअर माल हुआ करता था. आजादी के बाद इसे लोअर बाजार से जाना जाने लगा. उन्होंने कहा कि इससे लोगों,पर्यटकों को फायदा मिलेगा साथ ही लोअर बाजार के व्यापारियों को लाभ मिलेगा. इस पर राजनीति करना ठीक नही है.
बिजनेस एसोसिएशन नाराज
उधर माल रोड बिज़नेस एसोसिएशन ने इस लोअर माल का साइन बोर्ड लगने पर एतराज जताया है. व्यापार मंडल के सदस्य वीरेंद्र ऋषि ने कहा कि लोअर माल का बोर्ड लगाकर भ्रांति पैदा करने की कोशिश सही नहीं है है. जो पर्यटक या ग्राहक पहली बार शिमला आता है उसके लिए इन साइन बोर्ड से भ्रम पैदा होता है. इसमे कोई राजनीति नही होनी चाहिए. लेकिन नाम बदलने में माल रोड बिज़नेस एसोसिएशन को आपत्ति है. इस मूददे को लेकर माल रोड का व्यापारी नगर निगम आयुक्त से भी मिला है.