Jakhu Mandir In Shimla: आराध्य भगवान श्री राम का जन्म चैत्र मास की नवमी को अयोध्या में हुआ था. इसी साल 22 जनवरी को राम जन्मभूमि में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा पूरी हुई है. इसके बाद यह पहली बार है, जब पूरे देश में प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामनवमी का त्योहार मनाया जा रहा है. पूरे देश में बेहद हर्ष और उल्लास के साथ राम नवमी का त्योहार मनाया जाने की तैयारी है. शिमला में भी इसको लेकर राम भक्तों में खूब उत्साह है. 


राम नवमी पर भगवान राम की मूर्ति की स्थापना को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. राम भक्त भगवान श्री राम की मूर्ति स्थापना का इंतजार कर रहे हैं. दरअसल, 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले सूद सभा शिमला के साथ शहर की कई अन्य सामाजिक संस्थाओं ने राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा. 






जाखू में होनी है 111 फीट ऊंची राम मूर्ति 
इसमें जाखू मंदिर में भगवान हनुमान की 108 फीट ऊंची मूर्ति के साथ भगवान राम की 111 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित करने का प्रस्ताव भेजा गया था. इसे राज्य सरकार की ओर से मंजूरी भी दी जा चुकी है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जाखू मंदिर में भगवान राम की मूर्ति स्थापना की बात कही है.


'जल्द ही काम के तेजी पकड़ने की उम्मीद'
सूद सभा शिमला के अध्यक्ष राजीव सूद ने एबीपी न्यूज के साथ बातचीत में बताया कि मुख्यमंत्री की ओर से इसकी मंजूरी दी जा चुकी है. शिमला शहर के विधायक हरीश जनारथा भी इस पावन कार्य के लिए एक लाख रुपये देने के साथ दान की शुरुआत कर दी है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के चलते देश के साथ राज्य में लगी आचार संहिता के हटने के बाद इस कार्य में तेजी आने की उम्मीद है.


राजीव सूद ने कहा कि राम मूर्ति स्थापना के साथ लाखों राम भक्तों की इच्छा पूरी होगी. उन्होंने बताया कि इसके अलावा यह मूर्ति शिमला के साथ पूरे प्रदेश के धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देने में मददगार साबित होगी.
 
क्या है मंदिर का इतिहास?
शिमला में करीब 8 हजार 48 फीट की ऊंचाई पर विश्व प्रसिद्ध जाखू मंदिर स्थित है. इस मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है. भगवान हनुमान का दर्शन करने के लिए न केवल देश से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं. इस मंदिर को लेकर त्रेता युग में राम-रावण युद्ध से मान्यताएं जुड़ी हैं.


विश्व प्रसिद्ध जाखू मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए, तो सुखसेन वैद ने भगवान राम को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा था. इसके लिए भगवान राम ने अपने अनन्य भक्त हनुमान को चुना. प्रभु भगवान श्री राम के आदेशों पर हनुमान संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत की ओर उड़ चले.


इसी स्थान पर प्रकट हुई भगवान की स्वयंभू मूर्ति 
हिमालय की ओर जाते हुए भगवान हनुमान की नजर राम नाम जपते हुए ऋषि यक्ष पर पड़ी. इस पर हनुमान यहां रुककर ऋषि यक्ष के साथ भेंट की और आराम किया. भगवान हनुमान ने वापस लौटते हुए ऋषि यक्ष से भेंट करने का वादा किया, लेकिन वापस लौटते समय भगवान हनुमान को देरी हो गई.


समय के अभाव में भगवान हनुमान छोटे मार्ग से चले गए. ऋषि यक्ष भगवान हनुमान के न आने से व्याकुल हो उठे. ऋषि यक्ष के व्याकुल होने से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए.


भगवान हनुमान की चरण पादुका भी है मौजूद
इस मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनकी चरण पादुका मौजूद हैं. माना जाता है कि भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद यक्ष ऋषि ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया. ऋषि यक्ष से याकू और याकू से नाम जाखू पड़ा. दुनियाभर में आज इस मंदिर को जाखू मंदिर के नाम से जाना जाता है.


ये भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव से पहले डैमेज कंट्रोल में जुटी BJP, ऐसे की जा रही है नेताओं की नाराजगी दूर