HP News: एक सौ बीस साल पहले बने शिमला आइस स्केटिंग रिंक में होने वाली रोमांचक स्केटिंग के लिए अभी थोड़ा और इंतजार करना होगा. अमूमन हर साल 10 दिसंबर तक यहां आइस स्केटिंग शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार मौसम का साथ न मिलने की वजह से देरी हो रही है. शिमला में बादल छाए रहने की वजह से अभी तक रिंक में ट्रायल भी नहीं हो सका है. हालांकि, शिमला आइस स्केटिंग रिंक के प्रबंधन को उम्मीद है कि आने वाले दो दिन में इसका ट्रायल शुरू हो जाएगा.


बर्फ जमने के लिए साफ आसमान की जरूरत


शिमला आइस स्केटिंग रिंक के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री रजत मल्होत्रा ने बताया कि रिंक में जमने वाली बर्फ पूरी तरह से मौसम पर निर्भर होती है. इसके लिए सुबह और रात के वक्त साफ आसमान की जरूरत पड़ती है. आसमान में बादल होने की स्थिति में बर्फ नहीं जम पाती. बीते कुछ दिनों से बादल छाए रहने की वजह से अब तक बर्फ नहीं जम पाई है. आने वाले एक-दो दिन में अगर मौसम का साथ मिला, तो जल्द इसके ट्रायल शुरू हो जाएंगे. बता दें कि शिमला आइस स्केटिंग रिंक में चार साल से ज्यादा उम्र के बच्चे स्केटिंग कर सकते हैं.


स्केटिंग रिंक ने ली टेनिस कोर्ट की जगह


ब्रिटिश शासन काल के दौरान भारत पर अधिपत्य स्थापित कर राज करने वाले अंग्रेज शिमला की अलग-अलग जगहों पर खेल खेला करते थे. मौजूदा वक्त में जहां स्केटिंग रिंक है, वहां साल 1920 तक टेनिस खेला जाता था. अंग्रेज ब्लेस्सिंगटन भी यहां टेनिस खेलने आया करता था, लेकिन मुश्किल यह थी कि सर्दियों के समय यह टेनिस कोर्ट जम जाया करता और अंग्रेज यहां खेल नहीं पाते. तभी उत्सुकतावश ब्लेस्सिंगटन ने टेनिस कोर्ट में पानी भर दिया और सुबह जब वापस लौटा, तो पूरा टेनिस कोर्ट पर बर्फ की पतली परत जम चुकी थी. तभी ब्लेस्सिंगटन को यहां आइस स्केटिंग रिंक बनाने का ख्याल आया. इस तरह यहां शिमला में एशिया का पहला ओपन स्केटिंग रिंक है.


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