Mahatma Gandhi Death Anniversary: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर आज यानी 30 जनवरी को पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. हर साल उनकी पुण्यतिथि के मौके पर शिमला में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है. इस बार भी राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला (Shiv Pratap Shukla), मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) और कैबिनेट के अन्य सहयोगियों ने रिज मैदान पर पहुंचकर बापू को श्रद्धांजलि अर्पित की.


शहीद दिवस के मौके पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि महात्मा गांधी ने अहिंसा के पथ पर चलकर भारत को स्वतंत्रता दिलाई. सम्पूर्ण राष्ट्र कृतज्ञ भाव से आज उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का सत्य और अहिंसा का संदेश वर्तमान में और अधिक प्रासंगिक हैं.


वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राष्ट्रपतिा के नेतृत्व में पूरा देश एकजुट हो गया और अहिंसा का मार्ग चुनते हुए समर्पित प्रयासों से उन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई. उन्होंने राष्ट्रपिता के आदर्शों से प्रेरणा लेने और गांधी जी के सिद्धांतों को जीवन में आत्मसात करने का आह्वान करते हुए कहा कि यही महात्मा गांधी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का शिमला से भी गहरा नाता रहा. वे आजादी से पहले 10 बार शिमला की यात्रा पर आए.


बापू का था शिमला से गहरा नाता 


यह जानना भी दिलचस्प है कि देश को आजादी मिलने के बाद बापू कभी शिमला नहीं आए. शिमला प्रवास के दौरान महात्मा गांधी मैनर विला में ठहरते थे. यह राजकुमारी अमृत कौर की संपत्ति रही है. साल 1935 में महात्मा गांधी राजकुमारी अमृत कौर के संपर्क में आए. इसके बाद से मैनर विला महात्मा गांधी का नियमित ठहराव स्थल बन गया था. साल 1921 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पहली बार शिमला आए, तो वे बालूगंज के शांति कुटीर में रुके. अब इस कुटीर को शांति कुटीर के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा महात्मा गांधी क्लीवलैंड और चैडविक बिल्डिंग में भी रुके. अपनी ज्यादातर यात्राओं के दौरान महात्मा गांधी समरहिल स्थित मैनर विला में ही रुका करते थे.


कब-कब शिमला आये महात्मा गांधी?


• 12 से 17 मई 1921- वायसराय लॉर्ड रीडिंग से खिलाफत आंदोलन, पंजाब में अशांति, सविनय अवज्ञा और स्वराज पर चर्चा की. आर्य समाज मंदिर लोअर बाजार में महिला सम्मेलन में गए. ईदगाह में जनसभा की.


• 13 से 17 मई 1931- गांधी-इरविन समझौते से उत्पन्न समस्याओं पर वायसराय लॉर्ड विलिंग्डन, गृह सचिव एच. डब्ल्यू एमर्सन आदि से चर्चा.


• 15 से 22 जुलाई 1931- वायसराय लॉर्ड विलिंग्डन से लंदन में प्रस्तावित गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने पर चर्चा.


• 25 से 27 अगस्त 1931- वायसराय लॉर्ड विलिंग्डन से भेंट, दूसरा समझौते पर हस्ताक्षर.


• 4 से 5 सितंबर 1939- अंग्रेजी हुकूमत की ओर से दूसरे विश्वयुद्ध में हिंदुस्तान को शामिल करने पर वायसराय लिनलिथगो से बातचीत.


• 26 से 27 सितंबर 1939- वायसराय लिनलिथगो के निमंत्रण पर द्वितीय विश्वयुद्ध से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा.


• 29 से 30 जून 1940- वायसराय लिनलिथगो के निमंत्रण पर द्वितीय विश्वयुद्ध से उत्पन्न स्थिति पर फिर चर्चा.


• 27 से 30 सितंबर 1940- वायसराय लिनलिथगो के निमंत्रण पर द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद भारत की आजादी पर मंत्रणा.


• 24 जून से 16 जुलाई 1945- वायसराय लॉर्ड वेवल की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक शिमला कॉन्फ्रेंस में वायसराय के आग्रह पर गांधी की बतौर सलाहकार शिरकत.


• 2 मई से 14 मई 1946- कैबिनेट मिशन के आमंत्रण पर शिमला आगमन.


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