Himachal Pradesh News: भारत के हर राज्य का अपना पारंपरिक स्वाद है. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के खाने का जादुई स्वाद हर किसी की जुबान पर है. हिमाचल प्रदेश के पारंपरिक भोजन को हिमाचली धाम के नाम से जाना जाता है. इस हिमाचली धाम के दीवाने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी हैं. साल 2021 में वे अपने हिमाचल दौरे पर मंडियाली धाम में परोसे जाने वाली सेपू बड़ी और बदाने का जिक्र कर चुके हैं.


यही नहीं, बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान ने भी साल 2015 में अपनी बहन अर्पिता की शादी की रिसेप्शन में मंडियाली धाम का मजा उठाया था. हाल ही में फिल्म अभिनेता और सांसद सनी देओल के बेटे करण देओल की शादी में भी हिमाचली धाम ही देश-विदेश से आए मेहमानों को परोसी गई थी.


सोशल मीडिया से बढ़ा हिमाचली धाम का प्रचार


मौजूदा दौर सोशल मीडिया का दौर है. सोशल मीडिया ने हजारों-लाखों किलोमीटर की दूरी को मिटा दिया है. डिजिटल रूप से दूरी कम होने के चलते लोग देश के लोग ही नहीं, बल्कि विदेश में रहे लोग भी हिमाचली धाम के बारे में जान रहे हैं. इससे पहले देश में गुजराती, पंजाबी और राजस्थानी थाली का ही जिक्र ज्यादा होता था, लेकिन अब हिमाचली धाम भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रही है.


पर्यटन निगम के होटल में भी मिल रही हिमाचली धाम


धाम का मतलब खाना होता है. धाम शब्द को आमतौर पर शादी में परोसे से जाने वाले खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. हिमाचल प्रदेश घूमने के लिए आने वाले पर्यटक अब इस जादुई स्वाद को चखने की इच्छा रखते हैं. खास बात यह है कि पहले शादी के मौके पर परोसे जाने वाला यह खाना अब होटल और रेस्टोरेंट में भी मिल रहा है. हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम के होटल के साथ ही निजी होटल में भी धाम परोसी जा रही है.


परंपरा-विरासत का प्रतिनिधित्व भी करती है हिमाचली धाम


हिमाचली धाम पहाड़ी राज्य की परंपरा और विरासत का भी प्रतिनिधित्व करती है. यह धाम न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होती है, बल्कि सेहत के लिए भी इसे फायदेमंद माना जाता है. हिमाचली धाम में परोसी जाने वाली राजमाह डाल, पनीर, चावल, दाल, खट्टा, सब्जी और सेपू बड़ी कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और न्यूट्रीशन से भरी होती है. आमतौर पर गांव में हिमाचली धाम ब्राह्मण रसोइयों द्वारा बनाई जाती है, जिन्हें प्रचलित भाषा में बोटी कहकर पुकारा जाता है.


कैसे हुई हिमाचली धाम की शुरुआत?


दंतकथा के मुताबिक, हिमाचली धाम की शुरुआत चंबा के राजा जय स्तंभ बने करवाई थी. कहा जाता है कि एक बार राजा जय स्तंभ साथ लगते कश्मीर की भ्रमण पर गए. यहां उन्होंने पारंपरिक खाने का स्वाद लिया, जिसे वाजवान फीस्ट के नाम से जाना जाता था. राजा को यह थाली इतनी पसंद आई कि वापस लौटकर उन्होंने अपने रसोइयों से ऐसा ही खाना बनाने के लिए कहा.


फिर पूरे हिमाचल में प्रचलित हुई धाम


समस्या यह थी कि रसोइयों को यह खाना पूरी तरह शाकाहारी बनाना था. इसके बाद रसोइयों ने अपने हुनर का प्रदर्शन करते हुए शाकाहारी खाना तैयार किया. चंबा अपने मसाले, राजमाह और दूध के लिए प्रसिद्ध था. इसलिए इसी सामग्री का इस्तेमाल करते हुए रसोइयों ने खाना तैयार किया. धीरे-धीरे इलाके में इस खाने के लोकप्रियता बढ़ती गई और चंबा के बाद यह खाना पूरे हिमाचल में हिमाचली धाम के नाम से मशहूर हुई. प्रदेश के हर जिले में अलग-अलग तरह का खाना परोसा जाने लगा और यह परंपरा आज तक चली आ रही है.


ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2024: लोकसभा की चार सीटों पर कैंडिडेट्स को लेकर CM सुक्खू का बड़ा बयान, BJP पर भी साधा निशाना


खेलें इलेक्शन का फैंटेसी गेम, जीतें 10,000 तक के गैजेट्स *T&C Apply