हिमाचल में आपदा की मार हर क्षेत्र में पड़ी है. उद्योग भी इससे बच नहीं पाए हैं. पहले ही राज्य में कई तरह की समस्याओं से जूझ रहा उद्योग क्षेत्र आपदा से औंधे मुंह गिरा है. उद्योगपतियों की समस्याओं को देखते हुए हिमाचल सरकार आने वाले वक्त में धारा 118 में बदलाव करने जा रही है. ताकि उद्योग हिमाचल से पलायन न कर पाएं. अब जो उद्योग हिमाचल में लग चुके हैं, उनको बेचने या मालिकाना हक बदलने के लिए दोबारा से 118 की अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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सुक्खू सरकार धारा 118 में करेगी बदलाव

ये बात उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने शिमला में कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) की बैठक के दौरान कही. उन्होंने कहा, ''किराए पर ली जाने वाली संपत्ति पर भी अब उद्योगों को 118 की अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी. भाजपा सरकार ने 2022 में जाते जाते किराए वाले उद्योगों को भी 118 की अनुमति लेने का फैसला लिया था. इसके अलावा उद्योगों को बिजली की बिल में भी 40 पैसे प्रति यूनिट छूट देने पर भी विचार कर रही है. हालांकि सुक्खू सरकार ने ही बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी की है.

औद्योगिक निर्यात में हुई बढ़ोत्तरी- हर्षवर्धन चौहान

उन्होंने कहा, ''प्रदेश में 2004 में केंद्र सरकार द्वारा औद्योगिक पैकेज मिलने के बाद उद्योग क्षेत्र को बड़ी बढ़त मिली थी, और आज चुनौती यह है कि पुराने उद्योगों को स्थिर बनाए रखते हुए नई इकाइयों को भी किस तरह स्थापित किया जाए. मंत्री ने बताया कि 2004 में प्रदेश का औद्योगिक निर्यात लगभग 550 करोड़ रुपये था, जबकि 2025 में यह बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. प्रदेश की जीडीपी में उद्योगों का योगदान भी उल्लेखनीय है.

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प्राकृतिक आपदा से हिमाचल को काफी नुकसान

हिमाचल में 2023 में प्राकृतिक आपदाओं से लगभग 10,000 करोड़ रुपये और 2025 में करीब 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसके बावजूद सरकार ने स्थिरता बनाए रखी है. उन्होंने कहा, ''राज्य के राजस्व बढ़ाने के लिए नदी और नालों से खनन (River Bed Mining) की अनुमति भी जरूरी है. वर्तमान में फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट (FCA) के चलते सिर्फ एक ही साइट पर स्वीकृति मिली है, जबकि प्रदेश में 32 नदियों के किनारे 3022 साइट्स प्रस्तावित हैं. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से वन-टाइम अनुमति देने का आग्रह किया है ताकि राजस्व को बढ़ाया जा सके.

जीएसटी सुधारों को लेकर क्या बोले मंत्री हर्षवर्धन चौहान?

जीएसटी सुधारों पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री ने कहा, ''5%, 12% और 18% की नई दरों का प्रदेश ने स्वागत किया है, लेकिन इस बदलाव से हिमाचल को 800 से 1000 करोड़ रुपये सालाना राजस्व नुकसान होने की आशंका है. यह चिंता सिर्फ हिमाचल की नहीं, बल्कि सभी राज्यों की है. चौहान ने केंद्र से आग्रह किया कि राज्यों के राजस्व घाटे की भरपाई की जाए, जैसा 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद किया गया था.