Himachal Pradesh News: विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में जाति आधारित राजनीति एक कड़वी सच्चाई है. भले ही अन्य राज्यों की तरह हिमाचल प्रदेश में जाति की राजनीति अत्यधिक हावी न हो, लेकिन यहां भी राजनीति में जाति के प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता. छोटे से पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के इतिहास पर अगर नजर डाली जाए, तो यहां अब तक के कुल सात मुख्यमंत्री में से छह मुख्यमंत्री राजपूत समुदाय से ही संबंध रखने वाले रहे हैं.


हिमाचल प्रदेश में अब तक शांता कुमार के रूप में ही प्रदेश को गैर राजपूत मुख्यमंत्री मिला है. शांता कुमार ब्राह्मण समुदाय से संबंध रखने वाले हैं. हिमाचल प्रदेश की जनता को आज तक अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंध रखने वाले मुख्यमंत्री नहीं मिल सके हैं.


हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे डॉ. यशवंत सिंह परमार, राम लाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह, प्रेम कुमार धूमल, जयराम ठाकुर और मौजूदा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू राजपूत समुदाय से ही संबंध रखते हैं. करीब 75 लाख की आबादी वाले हिमाचल प्रदेश में 95.17 फीसदी हिंदू है. यहां सिख, ईसाई और मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या कम है.


एक खास बात यह है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सिख विधायक तो चुनकर पहुंचे, लेकिन आज तक कभी कोई मुस्लिम विधायक विधानसभा नहीं पहुंच चुका है. तत्कालीन बीजेपी सरकार में सिख समुदाय से संबंध रखने वाले नारायण सिंह सैनी कैबिनेट मंत्री भी बने थे. 


हिमाचल की 17 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित


हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कुल 68 सीट हैं. इनमें से 17 सीट अनुसूचित जाति और तीन सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. अन्य सीट सामान्य वर्ग के लिए हैं. इनमें किसी भी जाति से संबंध रखने वाला नागरिक चुनाव लड़ सकता है. हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीट में से एक सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, जबकि अन्य तीन सीट सामान्य वर्ग के लिए हैं.


प्रदेश में शिमला संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है. हिमाचल प्रदेश से लोकसभा चुनकर जाने वाले सदस्यों में भी राजपूत समुदाय का ही दबदबा रहा है. इनमें मंडी से वीरभद्र सिंह, प्रतिभा सिंह और महेश्वर सिंह प्रमुख नाम हैं. इसके अलावा ब्राह्मण समुदाय से पंडित सुख राम और रामस्वरूप शर्मा बड़े नाम हैं.


केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे शांता कुमार


जयराम ठाकुर भी मंडी जिला के बड़े राजपूत समुदाय के नाम हैं. हमीरपुर सीट पर भी राजपूत समुदाय का ही कब्जा रहा. यहां प्रेम कुमार धूमल और उनके बेटे अनुराग ठाकुर दो बड़े नाम हैं. कांगड़ा सीट से शांता कुमार ब्राह्मण नेता के रूप में केंद्रीय मंत्री रहे. इसी सीट से मौजूदा सांसद किशन कपूर गद्दी समुदाय से संबंध रखते हैं. कांगड़ा के सीट से ओबीसी वर्ग से संबंध रखने वाले चंद्र कुमार भी सांसद रह चुके हैं. वे सुक्खू सरकार में मंत्री भी हैं.


हिमाचल विधानसभा में 28 विधायक राजपूत


हिमाचल प्रदेश के मौजूदा कैबिनेट पर नजर डाली जाए, तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू राजपूत और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ब्राह्मण समुदाय से संबंध रखते हैं. इसके अलावा हर्षवर्धन चौहान, रोहित ठाकुर, विक्रमादित्य सिंह और अनिरुद्ध सिंह राजपूत समुदाय से हैं. प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल अनुसूचित जाति और बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले हैं.


हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में मौजूदा वक्त में 62 सदस्य हैं. इनमें से 28 राजपूत हैं. कुल 68 विधानसभा क्षेत्र वाली हिमाचल विधानसभा में फरवरी महीने तक राजपूत विधायकों की संख्या 29 थी.


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