Himachal Pradesh Assembly Monsoon Session: हिमाचल प्रदेश विधानसभा (Himachal Pradesh Assembly) के मानसून सत्र (Monsoon Session) की 18 सितंबर से शुरू हुई कार्यवाही सोमवार को खत्म हो गई. हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र की कुल 36 घंटे 38 मिनट तक कार्यवाही चली. सात बैठकों में 35 घंटे काम होना था, लेकिन विधानसभा में उत्पादकता 106 फीसदी रही. पक्ष-विपक्ष के बीच जमकर गहमागहमी भी हुई, लेकिन बावजूद इसके हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने रिकॉर्ड काम कर देश के अन्य राज्यों की विधानसभाओं के लिए भी उदाहरण स्थापित किया है.


आपदा पर भी हुई चर्चा
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र की कार्यवाही आपदा पर चर्चा के साथ शुरू हुई. राज्य सरकार हिमाचल में आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए नियम- 102 के तहत सरकारी प्रस्ताव पर चर्चा लाई थी. इस चर्चा में सत्ता पक्ष के 28 और विपक्ष के 21 सदस्यों ने भाग लिया. सरकार ने केंद्र सरकार को संकल्प पारित कर भेजा कि हिमाचल प्रदेश में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए. हालांकि इसमें सरकार को विपक्ष का साथ नहीं मिल सका.


मानसून सत्र के दौरान 743 प्रश्नों का उत्तर
वहीं हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा को सुचारू रूप से चलने के लिए पक्ष-विपक्ष के सदस्यों का आभार व्यक्त किया. उन्होंने बताया कि विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान 743 प्रश्नों का उत्तर दिया गया. इनमें 547 तारांकित और 196 अतारांकित प्रश्न थे. इसके अलावा नियम- 61 के तहत आठ और नियम- 62 के तहत पांच विषयों पर चर्चा हुई. विधानसभा के मानसून सत्र में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पांच घंटे और नेता प्रतिपक्ष ने 2 घंटे 48 मिनट तक सदन में अपना वक्तव्य रखा. विधानसभा अध्यक्ष ने विस्तृत मीडिया कवरेज के लिए पत्रकारों का भी आभार व्यक्त किया. वहीं, संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने भी सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया.


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