Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा से तीन निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफा दिया है. 22 मार्च को इस्तीफा दिए जाने के बाद यह इस्तीफा अब तक स्वीकार नहीं हुआ है. इस बीच तीनों निर्दलीय विधायक कृष्ण लाल ठाकुर, होशियार सिंह और आशीष शर्मा ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.


गुरुवार (25 अप्रैल) को भी हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले में सुनवाई की. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ करेगी. इस खंडपीठ में न्यायाधीश योजना रिवाल दुआ भी शामिल हैं.


मनिंदर सिंह ने की निर्दलीय विधायकों की पैरवी


वीरवार को याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि इस्तीफा स्वीकार न करने पर निर्दलीय विधायकों को याचिका दायर करनी पड़ी. वकील ने अदालत को बताया कि अगर कोई निर्दलीय विधायक बिना किसी दबाव और स्वेच्छा से इस्तीफा देता है, तो उसे स्वीकार किया जाना चाहिए. इस मामले में विधानसभा सचिवालय की ओर से ऐसा नहीं किया गया.


पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने निर्दलीय विधायकों की पैरवी कोर्ट में की. कपिल सिब्बल विधानसभा सचिवालय की ओर से इस केस को लड़ रहे हैं. गुरुवार को वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केस की सुनवाई में जुड़े थे.


कपिल सिब्बल रख रहे विधानसभा सचिवालय का पक्ष


कपिल सिब्बल ने विधानसभा सचिवालय की ओर से पेश होते हुए अदालत को बताया कि विधानसभा अध्यक्ष को संविधान ने शक्तियां दी हैं, जिसका वह प्रयोग करते हैं. अदालत ऐसे मामलों में दखलअंदाजी नहीं कर सकती. केवल समय सीमा निर्धारित कर सकती है. इस्तीफा स्वीकार करना या न करना, विधानसभा अध्यक्ष का अधिकार होता है.


इस पर न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने पूछा कि निर्दलीयों ने जब स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है, तो स्वीकार क्यों नहीं किए गए. इस सवाल पर कपिल सिब्बल ने उन्हें बताया कि निर्दलीय विधायकों ने 22 मार्च को इस्तीफा दिया और 23 मार्च को हुए बीजेपी में शामिल हुए. इसके बाद भी तीनों निर्दलीय विधायक चार्टर्ड प्लेन में घूमते रहे. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने तीनों निर्दलीय विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.


गुरुवार दोपहर बाद इस पूरे मामले में सुनवाई होनी थी, लेकिन कपिल सिब्बल ने जब असमर्थता जताई, तो हाई कोर्ट ने इस मामले को 30 अप्रैल चार बजे के बाद सुनने के आदेश दिए. अब इस मामले में 30 अप्रैल कोसुनाई होगी.


क्या है पूरा मामला?


बता दें कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा के तीन निर्दलीय विधायकों ने 22 मार्च को अपनी सदस्यता से इस्तीफा दिया. इनमें नालागढ़ से कृष्ण लाल ठाकुर, देहरा से होशियार सिंह और हमीरपुर से आशीष शर्मा शामिल हैं. 22 मार्च को इस्तीफा देने के बाद तीनों निर्दलीय विधायक 23 मार्च को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. तीनों निर्दलीय विधायकों को इंतजार था कि विधानसभा सचिवालय की ओर से उनका इस्तीफा स्वीकार किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 23 मार्च को ही 12 कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया को एक शिकायत दी.


इस शिकायत में तीनों निर्दलीय विधायकों पर दबाव में इस्तीफा देने की आरोप लगाए गए. इसके बाद ही विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया. तीनों निर्दलीय विधायक कारण बताओ नोटिस पर विधानसभा स्पीकर के सामने व्यक्तिगत तौर पर पेश भी हो चुके हैं. अब मामला हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में होने के चलते विधानसभा स्पीकर ने कोई भी फैसला लेने पर असमर्थता जताई है. वह इस मामले में विधानसभा हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश का इंतजार कर रहे हैं.


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