Himachal Pradesh: शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मंगलवार से रेजिडेंट डॉक्टर काले बिल्ले लगाकर काम करेंगे. इस दौरान सभी डॉक्टर काले बिल्ले लगाकर अपनी मांगों को पूरा न होने पर विरोध जाहिर करेंगे. दरअसल, अस्पतालों में सेवाएं दे रहे डॉक्टर काफी समय से नॉन प्रेक्टिस अलाउंस (Non Practising Allowance) की मांग कर रहे हैं.


अपनी मांगों को लेकर वे बीते साल सरकार से भी मिल चुके हैं. लेकिन, उन्हें सरकार से सिर्फ आश्वासन ही मिला है. हाल ही में वह अपनी मांगों के संदर्भ में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को एक पत्र भी लिख चुके हैं. डॉक्टरों का कहना है कि उनके साथ अन्याय किया जा रहा है. नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस की मांग कर रहे डॉक्टरों सालों से मिलने वाले एसीएस 4-9-14 को जल्द से जल्द बहाल करने की मांग की है.


सात महीने बाद भी पूरी नहीं हुई मांग


रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हरि मोहन ने बताया कि वे हिमाचल प्रदेश सरकार के समक्ष अपनी मांगों को पहले भी रख चुके हैं. सात महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी सरकार ने हिमाचल प्रदेश मेडिकल एसोसिएशन की मांगों को पूरा नहीं किया है. चिकित्सकों की सबसे बड़ी मांग एनपीए की बहाली है. चिकित्सकों की अग्रिम भर्ती के समय एनपीए को बहाल करने का आश्वासन दिया था और कहा था कि एनपीए को भविष्य में चिकित्सकों की नियुक्ति के समय दोबारा लागू कर दिया जाएगा, लेकिन अभी तक सिर्फ आश्वासन ही हाथ लगे हैं.


क्या हैं डॉक्टरों की मुख्य मांगें?


• नॉन प्रेक्टिस अलाउंस को बहाल किया जाए.
• चिकित्सकों की पदोन्नति के संदर्भ में 4-9-14 एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम दी जाती है, इस स्कीम को केंद्र के बराबर लागू किया जाए.
• रेगुलर डीपीसी को नियमित किया जाए.
• स्वास्थ्य विभाग में स्वास्थ्य निदेशक, उप स्वास्थ्य निदेशक और खंड चिकित्सा अधिकारियों के विभिन्न पद खाली चल रहे हैं. इन पदों पर पदोन्नति योग्यता और वरिष्ठता के आधार पर भरे जाने की मांग की जा रही है.


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