Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन (Harsh Mahajan) के लिए क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के छह असंतुष्ट विधायकों में से चार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) के गृह क्षेत्र से हैं. इन विधायकों के विधानसभा क्षेत्र हमीरपुर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) को वोट देने वाले तीन निर्दलीय विधायकों में से भी एक विधायक हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से हैं. सुक्खू का अपना निर्वाचन क्षेत्र हमीरपुर जिले का नादौन है. 


इन नौ विधायकों में से छह कांग्रेस के और तीन निर्दलीय हैं. उन्होंने  राज्य में राजनीतिक संकट पैदा कर दिया था. कांग्रेस के बागी राजिंदर राणा के अलावा कांग्रेस के तीन अन्य विधायकों और हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से एक निर्दलीय विधायक के उनके साथ शामिल होने से संकेत मिलता है कि सुक्खू अपने गृह क्षेत्र में विधायकों के बीच नाराजगी के स्तर को भांपने में विफल रहे. हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार महाजन के पक्ष में मतदान करने वाले नौ विधायकों में से पांच हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से हैं, जिनमें तीन हमीरपुर जिले से हैं.


इन नेताओं का भी हमीरपुर से रिश्ता
कांग्रेस विधायक राणा और इंद्रदत्त लखनपाल क्रमशः सुजानपुर और बड़सर विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा हमीरपुर जिले की हमीरपुर विधानसभा सीट से हैं. कांग्रेस विधायकों चैतन्य शर्मा और देविंदर कुमार भुट्टो निकटवर्ती ऊना जिले में क्रमशः गगरेट और चिंतपूर्णी (आरक्षित) निर्वाचन क्षेत्रों से चुने गए. ये भी हमीरपुर लोकसभा सीट का ही हिस्सा है.


राजिंदर राणा ने लगाया अपमान का आरोप
हमीरपुर को बीजेपी का गढ़ माना जाता था, लेकिन राणा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और दो बार के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को हराकर न केवल नई राजनीतिक कहानी गढ़ी, बल्कि ऐसी स्थिति उत्पन्न करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का जिले में सफाया हो गया. कांग्रेस सरकार बनने के बाद पार्टी विधायकों और कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि उन्हें सम्मान और इनाम मिलेगा. राणा ने खुले तौर पर कहा कि पुरस्कार और सम्मान पाने के बजाय उन्हें अपमान का सामना करना पड़ा.


विद्रोह के लिए प्रतिभा सिंह ने पार्टी नेतृत्व को ठहराया जिम्मेदार
राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री को अपनी नाराजगी और शिकायतों से अवगत कराने के बावजूद कोई सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने कहा कि यहां तक कि राज्य कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह के माध्यम से आलाकमान को भी सूचित किया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.  प्रतिभा सिंह बार-बार कहती रही हैं कि यदि इन असंतुष्ट विधायकों और मंत्रियों की शिकायतों पर ध्यान दिया गया होता तो मौजूदा संकट उत्पन्न नहीं होता. राजनीतिक विश्लेषक इसके लिए पार्टी के प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व दोनों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. निर्दलीय विधायक के रूप में चुने गए आशीष शर्मा और दो अन्य निर्दलीय विधायकों ने सुक्खू सरकार को समर्थन दिया और यहां तक ​​कि राज्यसभा चुनाव की पूर्व संध्या पर आयोजित कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में भी भाग लिया. हालांकि उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार को वोट दिया


ये भी पढ़ेंराज्यसभा सांसद पद से जेपी नड्डा ने क्यों दिया इस्तीफा? समझें पूरी बात