Himachal Pradesh News: हिमाचल में निर्दलीय विधायकों की इस्तीफे के मामले में खंडपीठ की दो अलग-अलग राय सामने आई है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ के मत अलग-अलग हैं. अब इस मामले को तीसरे जज भी सुनेंगे, जिन्हें मुख्य न्यायाधीश ही नियुक्त करेंगे. तीनों निर्दलीय विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम.एस. रामचंद्र राव का मत था कि अदालत किसी संवैधानिक संस्था को आदेश नहीं दे सकती, जबकि न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ इस संदर्भ में अलग राय रखती हैं.


हालांकि, मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की इस मांग पर एक राय थी कि निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा हाई कोर्ट स्वीकार नहीं कर सकता. तीनों निर्दलीय विधायकों ने याचिका में मांग की थी कि हाई कोर्ट ही उनका इस्तीफा स्वीकार कर ले.


अब तीसरे जज भी सुनेंगे मामला


पूरा मामला सुनने के बाद न्यायधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ का मत है कि अदालत को विधानसभा स्पीकर को इस्तीफा स्वीकार करने के लिए समय सीमा तय करने के लिए कहना चाहिए. चूंकि, अब इस याचिका पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति का मत अलग-अलग है. ऐसे में अब यह मामला तीसरे जज के पास जाएगा. मामला सुनने के लिए नए जज की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश की ओर से ही होगी. यह जानकारी हिमाचल प्रदेश सरकार में महाधिवक्ता अनूप रतन ने मीडिया से बातचीत के दौरान दी.



तीनों निर्दलीय विधायकों ने दायर की है याचिका


हिमाचल प्रदेश विधानसभा के तीन निर्दलीय विधायक कृष्ण लाल ठाकुर, होशियार सिंह और आशीष शर्मा ने 22 मार्च को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया. इसके लिए वे विधानसभा सचिव से मिले और उन्हें इस्तीफा सौंपा. इसके बाद तीनों निर्दलीय विधायक इस्तीफे की जानकारी देने के लिए राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल के पास भी पहुंचे.


राज्यपाल से मुलाकात के बाद तीनों निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा स्पीकर के आधिकारिक आवास पर पहुंच कर भी इस्तीफे की प्रति सौंपी. इस्तीफा स्वीकार होने से पहले ही 23 मार्च को तीनों निर्दलीय विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. स्पीकर ने तीनों निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया. इसी के विरोध में तीनों निर्दलीय विधायकों ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी. याचिका पर सुनवाई हुई और इस मामले में खंडपीठ की राय अलग-अलग रही है.


निर्दलीय विधायकों की सदस्यता रद्द करने की भी है मांग


तीनों निर्दलीय विधायकों के इस्तीफा से इतर सत्तापक्ष के सदस्य और हिमाचल प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने भी तीनों निर्दलीय विधायकों के खिलाफ विधानसभा स्पीकर को याचिका सौंपी है. इस याचिका में कहा गया है कि तीनों निर्दलीय विधायकों की सदस्यता को रद्द कर दिया जाना चाहिए. तीनों निर्दलीय विधायक चुनाव तो निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत कर आए, लेकिन उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. यह दल बदल कानून का उल्लंघन है और ऐसे में तीनों निर्दलीय विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी जानी चाहिए.


इस संबंध में भी विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने तीनों निर्दलीय विधायकों को विधानसभा सचिवालय में पेश होने के लिए कहा था, लेकिन तीनों निर्दलीय विधायक पेश नहीं हुए. इसके लिए इस याचिका पर सुनवाई के लिए भी तीनों निर्दलीय विधायकों को स्पीकर ने दोबारा 16 मई को बुलाया है.


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