जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रेसिडेंट मौलाना अरशद मदनी के बयान पर ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइज़ेशन के चीफ इमाम डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. एक बयान में मौलाना की टिप्पणी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि यह आतंकियों का साथ देने जैसा है. इमान ने कहा, 'मैं मौलाना अरशद मदनी के इस समय दिए गए बयान की कड़ी निंदा करता हूं, जिसका मकसद देश का माहौल खराब करना, लोगों में डर पैदा करना और अराजकता फैलाना है. उन्होंने अल फलाह यूनिवर्सिटी का हवाला देकर उनका (आतंकवादियों का) साथ दिया है.
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उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं. लाल किले पर धमाका देश का माहौल खराब करने की साज़िश थी. अल फलाह यूनिवर्सिटी के तीन जाने-माने लोगों को गिरफ्तार किया गया है. यह नेशनल सिक्योरिटी का मामला है. मौलाना को आतंकवाद के खिलाफ बयान देना चाहिए था. उनकी जमीयत उलेमा-ए-हिंद को आतंकवाद का विरोध करना चाहिए था.
इमाम ने कहा कि मैं उनसे रिक्वेस्ट करता हूं कि वे अपने बयान पर बात करने और जनता तक सही मैसेज पहुंचाने के लिए फिर से प्रेस कॉन्फ्रेंस करें. जब से मोदी सरकार आई है, सबसे ज़्यादा मुसलमान सिविल सर्विस में शामिल हुए हैं. PM मोदी की योजनाओं से मुसलमानों को सबसे ज़्यादा फायदा हुआ है, लेकिन उन्होंने उनकी तारीफ़ नहीं की है.
'उन्हें भी इसका विरोध करना चाहिए...'
इमाम ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है जिसमें दावा किया गया हो कि PM मुसलमानों या पूरे देश के फायदे के लिए काम करते हैं. उनका बयान अफसोसनाक है. उन्हें अपनी बात रखने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी चाहिए. उन्हें आतंकवाद के खिलाफ बोलना चाहिए. आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन जिन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है वे मुसलमान हैं.
इमाम ने कहा कि चूंकि यह एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी है, इसलिए उन्हें भी इसका विरोध करना चाहिए, जिससे देश का माहौल बेहतर होगा और हम एकजुट होंगे. जैसे-जैसे भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया का लीडर बन रहा है, हम सभी को इसमें उनका साथ देना चाहिए.'