Disadvantages of Using more Mobile: राजकोट के जसदन कस्बे में जुलाई में पढ़ाई छोड़ चुकी 17 वर्षीय एक लड़की ने स्मार्टफोन पर लगातार गेम खेलने पर फटकार लगाने के बाद अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी. इसी तरह, सूरत के कटारगाम में भी पेरेंट्स ने अपनी दसवीं क्लास में पढ़ रही बेटी से ये कहकर मोबाइल फोन छीन लिया था कि वो पढ़ाई में ध्यान नहीं दे रही है, इसके बाद छात्रा ने बड़ा कदम उठा लिया था.


गुजरात के युवाओं में बढ़ रही मोबाइल की लत
टीओआई में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात के युवाओं में मोबाइल फोन की लत अपने चरम पर पहुंच गई है. सौराष्ट्र विश्वविद्यालय (एसयू) मनोविज्ञान विभाग द्वारा किए गए 4,410 किशोरों के एक विस्तृत सर्वेक्षण ने एडिक्शन की सीमा और इसके दुष्प्रभावों के बारे में चौंकाने वाले तथ्य सामने लाए हैं. किशोरों को दो आयु समूहों में विभाजित किया गया था - एक 13 वर्ष से 15 वर्ष तक और दूसरा 15 वर्ष से 18 वर्ष तक - और लड़कियों और लड़कों की संख्या भी बराबर थी. अध्ययन से पता चला कि समान आयु वर्ग के लड़कों की तुलना में किशोर लड़कियां मोबाइल की अधिक आदी होती हैं. अध्ययन के अनुसार, लड़कियां हर दिन औसतन 5-6 घंटे अपने मोबाइल पर सर्फिंग करती हैं जबकि लड़के दिन में 3-4 घंटे बिताते हैं.


Gujarat Election: गुजरात चुनाव में 150 सीट जीतने के लिए BJP बना रही ये रणनीति, अमित शाह ने बनासकांठा में की बैठक


बिमारियों का हो रहे शिकार
चिकित्सकीय रूप से, मोबाइल फोन के अभाव से जुड़ी व्यवहार संबंधी समस्याओं को नोमोफोबिया (नो मोबाइल फोन फोबिया) कहा जाता है. मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति फोन पर तीन घंटे से अधिक समय बिताता है तो उसे एडिक्टेड (Addicted) कहा जाता है. एडिक्शन किशोरों के बीच कई मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी ला रहा है जिनमें नींद न आना, एकाग्रता की कमी, नकारात्मक विचार, आत्मविश्वास की कमी, परीक्षा में प्रदर्शन का डर, सामाजिक अलगाव और रिश्तों में खटास शामिल हैं.


युवाओं में मोबाइल की लत
मोबाइल की लत का एक और दुखद परिणाम सितंबर में सूरत के हजीरा में देखा गया जब एक 40 वर्षीय व्यक्ति की उसके 17 वर्षीय बेटे ने कथित तौर पर हत्या कर दी थी, शख्स ने बेटे को इस बात के लिए फटकार लगाई थी कि वो मोबाइल पर ज्यादा समय गुजार रहा है. सर्वेक्षण के परिणामों में पाया गया कि 16 साल से 18 साल की उम्र की 32 फीसदी लड़कियों को मोबाइल की लत है, जबकि उसी उम्र के 27 फीसदी लड़कों को भी यही समस्या का सामना करना पड़ रहा है.


इन समस्याओं का कर रहे सामना
एसयू में मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. योगेश जोगसन ने कहा, "इस सर्वेक्षण का उद्देश्य माता-पिता को अपने किशोर बच्चों की गतिविधियों के बारे में जागरूक और अधिक जिम्मेदार बनाना था. मोबाइल की लत के कारण किशोर अपने संचार कौशल को (Communication Skill) खो रहे हैं. वे अकेलेपन, गंभीर मिजाज आदि जैसी अन्य समस्याओं के अलावा अन्य लोगों के साथ तालमेल बिठाने जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं.


ये भी पढ़ें:


Vadodara Riot: दिवाली पर वडोदरा में भड़का साम्प्रदायिक दंगा, स्ट्रीट लाइट बंद कर पुलिस पर फेंका पेट्रोल बम, हिरासत में 19 लोग