Naroda Gam Riot: गुजरात की एक विशेष अदालत ने गुरुवार (20 अप्रैल) को 2002 के नरोदा गाम दंगों के मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी सहित सभी 67 आरोपियों को बरी कर दिया. अहमदाबाद के नरोदा गाम में गोधरा मामले के बाद भड़के दंगों में मुस्लिम समुदाय के 11 सदस्यों के मारे जाने के दो दशक से अधिक समय बाद विशेष अदालत का यह फैसला आया है.


28 फरवरी, 2002: गोधरा ट्रेन अग्निकांड के एक दिन बाद दक्षिणपंथी संगठनों के बुलाये बंद के दौरान अहमदाबाद के नरोदा गाम इलाके में भड़की हिंसा में मुस्लिम समुदाय के 11 लोग मारे गये.


मई 2009: गुजरात हाई कोर्ट ने नरोदा गाम मामले में सुनवाई के लिए एस एच वोरा को जज नियुक्त किया.


मई 2009: सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बिजेपी नेता और प्रदेश की पूर्व मंत्री माया कोडनानी, विश्व हिंदू परिषद के नेता जयदीप पटेल, बाबू बजरंगी और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया.


मई 2009: उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120 (बी) (आपराधिक षड्यंत्र), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 395 और 397 (लूटपाट) और 143 से 147 (दंगा) के तहत आरोप दाखिल किये गये. आरोप पत्र के मुताबिक कोडनानी और पटेल ने भीड़ की अगुवाई की.


जुलाई 2009: एसआईटी ने अपना नौवां आरोप पत्र दायर किया और स्पेशल कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई.


जुलाई 2010: मामले में आरोपियों की कुल संख्या 86 हुई और एसआईटी ने तीन और लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया.


अगस्त 2012: एक विशेष अदलत ने कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत 32 लोगों को गोधरा कांड के बाद नरोदा पाटिया में घटी एक अन्य घटना के मामले में दोषी ठहराया.


नवंबर 2012: जज एस एच वोरा को गुजरात हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में प्रोन्नत किया गया. ज्योत्सना याग्निक ने नरोदा गाम मामले में पीठासीन जज के रूप में कामकाज संभाला.


अगस्त 2017: सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल कोर्ट से चार महीने में सुनवाई पूरी करने को कहा.


18 सितंबर, 2017: तत्कालीन बिजेपी अध्यक्ष अमित शाह बचाव पक्ष के गवाह के रूप में अदालत में पेश हुए. कोडनानी ने मौके पर अपनी अनुपस्थिति साबित करने के लिए शाह से पूछताछ की मांग की थी. शाह ने अदालत को बताया कि उन्होंने हिंसा वाले दिन कोडनानी को सुबह करीब 8:30 बजे गुजरात विधानसभा में और पूर्वाह्न करीब 11:15 बजे सोला सिविल अस्पताल में देखा था.


अक्टूबर 2017: विशेष जज पी बी देसाई ने नरोदा गाम में अपराध स्थल का मुआयना किया.


दिसंबर 2017: जज देसाई सेवानिवृत्त हुए.


20 अप्रैल, 2018: गुजरात हाई कोर्ट ने नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में कोडनानी को बरी किया. हाई कोर्ट ने बजरंगी समेत 12 लोगों की दोषसिद्धि को कायम रखा.


अगस्त 2018: एसआईटी ने स्पेशल कोर्ट से कहा कि कोडनानी करीब 10 मिनट तक अपराध स्थल पर मौजूद थीं और ‘भीड़ को उकसाकर’ चली गयीं.


अगस्त 2018: एसआईटी ने स्पेशल कोर्ट से कहा कि कोडनानी के बचाव में दिया गया अमित शाह का बयान ‘अविश्वसनीय’ है.


अगस्त 2018: अदालत ने तहलका के पूर्व पत्रकार आशीष खेतान के स्टिंग ऑपरेशन की सीडी देखी जिनमें 2002 के दंगों के मामलों के कुछ आरोपी दिखे थे.


20 अप्रैल, 2023: स्पेशल कोर्ट ने नरोदा गाम मामले में कोडनानी और बजरंगी समेत सभी 67 आरोपियों को बरी किया.


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