गुजरात में अब लोकसभा की 25 सीटों पर ही वोटिंग होगी. सूरत सीट से बीजेपी के उम्मीदवार मुकेश दलाल ने सोमवार (22 अप्रैल) को निर्विरोध जीत हासिल कर ली और उन्हें जीत का सर्टिफिकेट भी मिल गया है. गुजरात में बीजेपी का खाता खुल गया है. कांग्रेस कैंडिडेट का पर्चा अयोग्य घोषित होने और सभी निर्दलीय प्रत्याशियों के नामांकन वापस लेने के बाद बीजेपी के प्रत्याशी मुकेश दलाल को निर्विरोध विजयी हुए हैं.


सूरत में चुनावी लड़ाई ने तब अप्रत्याशित मोड़ ले लिया, जब 21 अप्रैल को कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार का नामांकन खारिज हो गया. बता दें कि गुजरात के अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों में लड़ाई दो पार्टियों - कांग्रेस और बीजेपी के बीच है.


क्यों अमान्य हुई कांग्रेस कैंडिडेट की उम्मीदवारी?


शुरू में सूरत कांग्रेस कैंडिडेट नीलेश कुंभानी के नामांकन फॉर्म में प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में विसंगतियां पाई गई. जिसके बाद उनकी उम्मीदवारी अमान्य हो गई.


बता दें कि कांग्रेस के उम्मीदवार का फॉर्म रिजेक्ट होने के बाद 9 उम्मीदवार मैदान में बचे थे जिनमें से बसपा के उम्मीदवार प्यारेलाल भारती सहित 8 अन्य और निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अपना नाम वापस ले लिया और बीजेपी के मुकेश दलाल बिना लड़े ही चुनाव जीत गए.


गुजरात में पहली बार कोई निर्विरोध जीता


गुजरात में लोकसभा चुनाव में ये पहला मौका है जब कोई प्रत्याशी निर्विरोध चुनाव जीता है. मुकेश दलाल बीजेपी की और से भी पहले उम्मीदवार हैं जो निर्विरोध जीते हैं और देश में अब तक 29वें उम्मीदवार हैं जिन्होंने लोकसभा का चुनाव निर्विरोध जीता है.


7 मई को होगी वोटिंग


सूरत बीजेपी का गढ़ है. 1989 से यहां लगातार बीजेपी जीतती रही है. यहां से छह बार काशीराम राणा जीते. तीन बार से दर्शना जरदोश चुनाव जीतीं. इस बार बीजेपी ने दर्शना जरदोश का टिकट काटकर मुकेश दलाल को उम्मीदवार बनाया था. मुकेश दलाल सूरत नगर निगम में तीन बार पार्षद चुने गए. 7 मई को गुजरात की बची सीटों पर वोटिंग होगी.


कौन हैं मुकेश दलाल? जिन्होंने लोकसभा चुनाव में बिना वोटिंग के ही हासिल कर ली जीत