गुजरात बीजेपी के विधायक हार्दिक पटेल के खिलाफ राजद्रोह का मामला वापस होगा. गुजरात के सूरत की एक अदालत ने राज्य सरकार की उस याचिका को गुरुवार (18 दिसंबर) को स्वीकार कर लिया, जिसमें हार्दिक पटेल और तीन अन्य के खिलाफ 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुड़े राजद्रोह के मामले को वापस लेने का आग्रह किया गया था.
2022 में बीजेपी के टिकट पर जीते चुनाव
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश आर.ए. त्रिवेदी की अदालत ने पटेल और उनके तत्कालीन सहयोगियों अल्पेश कथिरिया, विपुल देसाई और चिराग देसाई के खिलाफ राजद्रोह का मामला वापस लेने के सरकार के आवेदन को स्वीकार किया. हार्दिक पटेल बीजेपी में शामिल होने के बाद 2022 के राज्य विधानसभा चुनाव में जीते थे.
इस साल मार्च में अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने सरकार की उस याचिका को स्वीकार कर लिया था जिसमें पटेल और चार अन्य लोगों के खिलाफ 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन से संबंधित राजद्रोह का एक अन्य मामला वापस लेने का आग्रह किया गया था. उस वर्ष, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के तहत सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग को लेकर समुदाय ने हिंसक विरोध प्रदर्शन किए थे.
राजद्रोह का मामला अक्टूबर 2015 हुआ था दर्ज
पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) के तत्कालीन संयोजक हार्दिक पटेल के खिलाफ राजद्रोह का मामला अक्टूबर 2015 में अमरोली थाने में दर्ज किया गया था. उन्होंने अपने समुदाय के युवाओं से कथित विवादास्पद टिप्पणी की थी कि आत्महत्या करने से अच्छा पुलिसकर्मियों को मार दिया जाए.
उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए (राजद्रोह), 115 (अपराध में सहायता करना) और 201 (सबूतों को नष्ट करना) के तहत आरोप लगाए गए थे. राजद्रोह के आरोप में अधिकतम सजा आजीवन कारावास है, जबकि न्यूनतम सजा तीन वर्ष है.
2022 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में हुए थे शामिल
हार्दिक पटेल 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए और 2020 में उन्हें पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया. वह 2022 में बीजेपी में शामिल हुए और उसी वर्ष उन्होंने विरामगाम निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीता.
उनके वकील यशवंत वाला ने बताया कि राज्य सरकार ने पहले एक अधिसूचना जारी कर राजद्रोह के मामलों सहित पाटीदार आंदोलन से संबंधित लगभग 90 प्रतिशत मामलों को वापस लेने का आदेश दिया था. उन्होंने कहा, ‘‘ उस अधिसूचना के आधार पर लोक अभियोजक ने पटेल और तीन अन्य के खिलाफ राजद्रोह का मामला वापस लेने के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष आवेदन दायर किया था. प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पी.डी. देसाई ने सरकार की याचिका स्वीकार करते हुए मामला वापस ले लिया और पटेल, अल्पेश कथिरिया, विपुल देसाई और चिराग देसाई को बरी कर दिया.’’