गुजरात उच्च न्यायालय ने बुधवार (17 दिसंबर) को मुस्लिम वक्फ संस्थानों से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाते हुए लगभग 150 याचिकाओं को खारिज कर दिया. इन याचिकाओं में वक्फ न्यासों ने अदालती शुल्क (कोर्ट फीस) के भुगतान से छूट की मांग की थी. हाईकोर्ट के इस फैसले को राज्य में वक्फ संपत्तियों से जुड़े मामलों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

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दरअसल, गुजरात के अलग-अलग हिस्सों में स्थित कई वक्फ संस्थानों ने गुजरात राज्य वक्फ न्यायाधिकरण के आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इन आदेशों में कहा गया था कि वक्फ से जुड़े विवादों की सुनवाई से पहले संबंधित याचिकाकर्ताओं को तय अदालती शुल्क जमा करना होगा. वक्फ न्यासों का कहना था कि वे धार्मिक और परोपकारी संस्थाएं हैं, इसलिए उन्हें कोर्ट फीस से छूट मिलनी चाहिए.

इन वक्फ ट्रस्टों ने की थी याचिका

इन याचिकाओं में सुन्नी मुस्लिम ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट, वडोदरा शहर मस्जिद सभा ट्रस्ट और अहमदाबाद की सरखेज रोजा कमेटी जैसे प्रमुख वक्फ न्यास शामिल थे. इन ट्रस्टों के विवाद राज्य भर में फैली महत्वपूर्ण संपत्तियों से जुड़े थे, जिनमें किराया वसूली, कब्जे को लेकर झगड़े और संपत्ति पर अधिकार जैसे मुद्दे शामिल थे.

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हाईकोर्ट ने याचिकाएं की खारिज

मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जे. सी. दोशी ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने वक्फ न्यायाधिकरण के सामने जो राहतें मांगी थीं, वे एक-दूसरे से टकराने वाली थीं. ऐसे मामलों में सिर्फ औपचारिक आदेश नहीं, बल्कि पक्षों के अधिकारों और दायित्वों का न्यायिक निर्धारण जरूरी होता है.

हाईकोर्ट ने साफ कहा कि जिन मामलों में संपत्ति पर अधिकार, कब्जा या किराया जैसे मुद्दे तय करने हों, वहां कोर्ट फीस से छूट नहीं दी जा सकती. ऐसे विवादों में अदालत को तथ्यों और कानून के आधार पर फैसला करना होता है, और इसके लिए तय प्रक्रिया का पालन जरूरी है.

इस फैसले के बाद अब गुजरात में वक्फ संपत्तियों से जुड़े मामलों में वक्फ संस्थानों को भी अन्य पक्षों की तरह अदालती शुल्क चुकाना होगा. माना जा रहा है कि इससे वक्फ ट्रिब्यूनल और अदालतों में लंबित मामलों की प्रक्रिया और ज्यादा स्पष्ट और सख्त हो जाएगी.