Gujarat Politics: हार्दिक पटेल ने गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष पद और पार्टी की सदस्यता से बुधवार को इस्तीफा दे दिया. उन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक लंबा पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने अपनी जमकर भड़ास निकाली है. इस खत में उन्होंने सीएए, राम मंदिर और NRC का जिक्र किया. हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को छोड़ तो दिया है, साथ ही इस युवा नेता के पार्टी छोड़े से कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले हार्दिक पटेल पाटीदार आंदोलन की अगुवाई की थी, जिसके बाद हार्दिक गुजरात में बड़े नेता के तौर पर उभरे.
गुजरात में पाटीदारों की आबादी 15 फीसदीअब इसी साल गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव से ठीक पहले हार्दिक पटेल का कांग्रेस छोड़ना नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि राज्य में पाटीदारों की वोट संख्या काफी ज्यादा है. गुजरात की कुल आबादी में से पाटीदारों की आबादी 15 फीसदी है. जिसमें लेउवा 54 फीसदी और कड़वा 43 फीसदी हैं.
पाटीदार कड़वा और लेउवा पटेल में विभाजितपाटीदार कड़वा और लेउवा पटेल में विभाजित है. अगर इन दोनों को साथ में मिला दिया जाए तो यह एक बड़ी राजनितीक ताकत बन जाती है. जिस पार्टी की ओर यह वोट ट्रांसफर होता है उस पार्टी की जीत सुनिश्चित हो जाती है. राज्य में कुल पाटीदारों में से कड़वा पटेल की हिस्सेदारी 6.5 फीसदी है, जबकि लेउवा पटेल की हिस्सेदारी 8 फीसदी है. हार्दिक पटेल कड़वा समाज से आते हैं. मगर उनकी पकड़ कड़वा और लेउवा दोनों पर है. गुजरात में सभी पार्टियों की नजर इन्हीं पर है.
हार्दिक पटेल का राजनीतिक सफरहार्दिक पटेल ने कांग्रेस से सक्रिय राजनीति में उतरने से पहले पाटीदार आरक्षण आंदोलन की मुखरता से अगुवाई की. हार्दिक मुख्य रूप से एक सामाजिक कार्यकर्ता थे, जो सरदार पटेल समूह (एसपीजीद), एक पाटीदार युवा निकाय में शामिल थे और बाद में इसकी विरमगाम इकाई के अध्यक्ष चुने गए. हालांकि लालजी पटेल के साथ विवाद के बाद उन्हें एसपीजी के पद से बाहर कर दिया गया था. उन्होंने 2015 में पाटीदार आंदोलन का नेतृत्व किया. पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बाद देशभर में हार्दिक पटेल को राष्ट्रीय पहचान मिली. उन्होंने 2017 गुजरात चुनाव में कांग्रेस को सपोर्ट किया. हार्दिक 2019 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और सक्रिय राजनीति में आऐ. पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान हुए 2015 के दंगों में उनकी कथित संलिप्तता के कारण 2019 का चुनाव नहीं लड़ पाए थे.
कड़वा पटेल गुजरात में कड़वा पटेल की आबादी 6.5 फीसदी है. ये कुल पाटीदारों में से 43 फीसदी आबादी है. कड़वा पटेल विधानसभा चुनाव में 30 से 35 सीटों पर असर डालते हैं. इनका प्रभाव उत्तर गुजरात और सौराष्ट्र के इलाकों में है. यही नहीं इस समाज के मौजूदा 19 विधायक हैं. 2017 में 68 फीसदी कड़वा पटेल ने बीजेपी को वोट दिया था, जो 2012 से 10 फीसदी कम था. हार्दिक पटेल इसी समाज से आते हैं. राज्य में कड़वा पटेल समुदाय से अन्य बड़े नेता भूपेंद्र पटेल, नितिन पटेल और पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल आती हैं.
लेउवा पटेलराज्य में लेउवा पटेल की आबादी 8 फीसदी है. ये कुल पाटीदारों में से 54 फीसदी आबादी है. लेउवा पटेल विधानसभा चुनाव की 40-45 सीटों पर असर डालते हैं. जिनका असर मध्य गुजरात और सौराष्ट्र के इलाकों में है. लेउवा पटेलों की मौजूदा विधायकों की संख्या 25 है. राज्य में लेउवा पटेल समुदाय से जीतू वाघानी, मनसुख मांडविया, आर सी फलदू और पूर्व मुख्यमंत्री केशू भाई पटेल आते हैं. 2017 में 51 फीसदी लेउवा पटेल ने बीजेपी को वोट दिया था, जो 2012 से 12 फीसदी कम था.
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