Gujarat Kheda Village: आजादी के बाद भारत ने ना सिर्फ सामाजिक और आर्थिक बल्कि तकनीकी तौर पर भी तेजी के साथ रिफॉर्म की शुरुआत की. इस पूरे रिफॉर्म में गुजरात की अहम भूमिका रही. गुजरात का खेड़ा जिला वैसे तो कई वजहों से इतिहास में अहम स्थान रखता है लेकिन भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीविजन की पहुंच, इसी जिले में मौजूद एक गांव की अहम भूमिका की वजह से संभव हो सकी. गुजरात के खेड़ा जिले में सरदार बल्लभ भाई पटेल जैसी शख्सियत का भी जन्म हुआ था. वहीं इसी जिले का गांव पिज भारत में टेलीविजन की ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच के लिए अहम भूमिका निभा चुका है. आज आपको बताते हैं खेड़ा कम्युनिकेशन प्रोजेक्ट की पूरी कहानी….


1959 में हुआ टेलीविजन का शुभारंभ


दिल्‍ली में 15 सितंबर 1959 को पहली बार टेलीविजन का शुभारंभ हुआ था. यूनेस्को की मदद के साथ शुरू किए गए कार्यक्रम में कई सामाजिक विषयों पर बात की जाती थी. ये कार्यक्रम हफ्ते में दो बार टीवी पर प्रसारित किया जा रहा था. दो साल बाद स्कूली शिक्षा पर कार्यक्रम प्रसारित किए जाने लगे. इसके बाद मुंबई में दूसरा टेलीविजन स्टेशन साल 1972 में खोला गया फिर 1973 में श्रीनगर और अमृतसर, 1975 में लखनऊ, मद्रास, कलकत्ता में स्टेशन खोले गए. लेकिन अभी भी ग्रामीण इलाकों में टीवी की पहुंच नहीं थी इसके लिए एक नए प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई.


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विक्रम साराभाई ने नासा के साथ शुरू किया प्रोजेक्ट


देश के महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई ने नासा के साथ इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया. भारत और अमेरिका का ये साझा प्रोजेक्ट साल 1975 में लॉन्च किया गया था. टीवी को गांवों तक पहुंचाने के मकसद से शुरू किया गया ये प्रोजेक्ट स्पेस के क्षेत्र में भी बड़ा कदम था. इस प्रोजेक्ट में सैटेलाइट अमेरिकी था लेकिन रिसेप्शन इक्विपमेंट, टीवी सेट और कार्यक्रमों को सैटेलाइट तक अपलिंक करने के लिए अर्थ स्टेशन भारतीय थे. खेड़ा जिले के दूरस्थ गांव पिज में ये सेटअप तैयार किया गया. जिसने ग्रामीण भारत में टेलीविजन की पहुंच की आधारशिला रखी.


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