Hardik Patel Case: गुजरात के सूरत की मजिस्ट्रेट अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक हार्दिक पटेल को दिसंबर 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले प्राधिकार द्वारा दी गई अनुमति का उल्लंघन कर राजनीतिक भाषण देने के मामले में शुक्रवार को बरी कर दिया. न्यायिक मजिस्ट्रेट सुप्रीत कौर गाबा ने पटेल और रैली आयोजित करने की अनुमति लेने वाले जिग्नेश वाघसिया को बरी कर दिया. तत्कालीन जिलाधिकारी ने विधानसभा चुनाव से लगभग एक सप्ताह पहले तीन दिसंबर, 2017 को सूरत शहर के सरथाना इलाके में ‘‘गैर-राजनीतिक’’ रैली की अनुमति दी थी. आरोप लगाया गया था कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन के पूर्व नेता पटेल ने शर्तों का उल्लंघन किया और रैली में ‘‘राजनीतिक’’ भाषण दिया.


हार्दिक पटेल को बड़ी राहत
सशर्त अनुमति में जिलाधिकारी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि रैली में कोई भी वक्ता किसी भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार के समर्थन या विरोध में नहीं बोलेगा. पटेल उस समय किसी भी पार्टी से संबद्ध नहीं थे. उस वक्त आरक्षण की मांग कर रहे संगठन पाटीदार अनामत आंदोलन समिति का नेतृत्व कर रहे पटेल ने रैली में भाषण दिया था. सूरत पुलिस ने पटेल और वाघसिया के खिलाफ गुजरात पुलिस अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की. पुलिस ने आरोप लगाया कि पटेल और रैली के आयोजक वाघसिया ने रैली में राजनीतिक भाषण देकर शर्तों का उल्लंघन किया. हार्दिक को जनवरी 2019 में गिरफ्तार किया गया था और उनकी गिरफ्तारी के कुछ दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल किया गया था.


सुनवाई के दौरान, पटेल के वकील यशवंतसिंह वाला ने दलील दी कि अभियोजन पक्ष ने यह साबित करने के लिए कोई स्पष्ट सबूत नहीं दिया कि पटेल ने कोई राजनीतिक भाषण दिया था या किसी राजनीतिक दल या उम्मीदवार के पक्ष या विपक्ष में बात की थी. वाला ने यह भी तर्क दिया कि कोई भी गवाह स्पष्ट रूप से यह नहीं बता सका कि हार्दिक पटेल ने अनुमति की एक शर्त का उल्लंघन कैसे किया. पटेल 2017 के चुनावों के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए थे. वह 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा उम्मीदवार के रूप में वीरमगाम विधानसभा सीट से जीत हासिल की.


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