Ahmedabad News: अहमदाबाद की एक मेट्रोपोलियन अदालत (Metropolitan Court) ने मंगलवार (16 जनवरी) को कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी (Jignesh Mevani) और 30 अन्य लोगों को राज्य सरकार की नीतियों के विरोध में एक ट्रेन को बाधित करने के मामले में बरी कर दिया है. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपालियन मजिस्ट्रेट पीएन गोस्वामी  (PN Goswami) की अदालत ने मेवाणी और अन्य को संदेह का लाभ देते हुए 2017 के इस मामले में बरी कर दिया. 


2017 में 'रेल रोको' प्रदर्शन बुलाई गई थी जिसके तहत कालूपुर रेलवे स्टेशन पर राजधानी एक्सप्रेस को 20 मिनट तक रोका गया था. इसी मामले में अहमदाबाद की पुलिस ने जिग्नेश मेवाणी और अन्य लोगों पर मामला दर्ज किया था. ये रेल रोको राज्य सरकार की नीतियों का विरोध करते हुए बुलाई गई थी. मेवाणी और बाकी अन्य लोगों के खिलाफ गैरकानूनी रूप से भीड़ जुटाने, दंगा करने, सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा पहुंचाने और आपराधिक साजिश रचने से जुड़ी आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत केस किया गया था. इन आरोपियों में 13 महिलाएं भी शामिल थीं.


2016 के एक मामले में भी बरी हो चुके हैं मेवाणी
सभी 31 आरोपियों के खिलाफ रेलवे अधिनिय़म की धारा 153 के तहत भी केस दर्ज किया गया था. यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालने संबंधी अपराध पर यह धारा लगाई जाती है. मेवाणी वडगाम विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक और एनजीओ राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक भी हैं. दरअसल, एक सत्र अदालत ने उन्हें इस मामले में बरी करने से इनकार कर दिया था. बता दें कि 2016 में जिग्नेश मेवाणी और छह अन्य लोगों पर इनकम टैक्स चौराहे पर पुलिस की अनुमति के बिना प्रदर्शन करने का आरोप लगा था. उस वक्त उन्हें हिरासत में लिया गया था. उनके खिलाफ पुलिस वाहन में तोड़फोड़ करने और दंगा करने के भी आरोप लगे थे. हालांकि पिछले साल नवंबर में इस मामले में भी मेवाणी समेत सभी सात लोगों को बरी कर दिया गया है.


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