Ahmedabad Consumer Commission: एक उपभोक्ता आयोग ने आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) को एक दंपति को 55,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है, जिनकी संपत्ति से संबंधित मूल दस्तावेज बैंक द्वारा खो गए थे और उन्हें लंबे समय तक इस मामले में लापता दस्तावेजों के बारे में सूचित नहीं किया गया था. हिमांशीबेन और चैतन्य सोनी का जोधपुर इलाके में उमियाविजय सोसाइटी में घर है. फरवरी 2005 में बैंक से लोन सुविधा प्राप्त करते समय इन्होंने अपने घर का मूल विक्रय-विलेख (Original Sale-Deed) और सोसाइटी का शेयर प्रमाण-पत्र (Share Certificate of Society) प्रतिभूति के रूप में जमा किया था.
दंपति ने दर्ज कराया केस
जब उन्होंने नवंबर 2011 में लोन का भुगतान किया, तो वे संपत्ति के कागजात वापस चाहते थे. बैंक अधिकारियों ने दस्तावेजों को वापस नहीं किया और 2014 में उन्हें सूचित किया गया था कि दस्तावेज बैंक के वकील के कार्यालय से अप्रैल 2005 में चोरी हो गए थे. इस संबंध में बैंक ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी. दंपति ने उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, अहमदाबाद (शहर) के साथ बैंक पर मुकदमा दायर किया और लापता दस्तावेजों पर इन सभी वर्षों में उन्हें अंधेरे में रखने के लिए और सेवा में कमी का आरोप लगाया.
मामले में आयोग ने कही ये बात
आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ताओं ने मोर्टगेज डीड (Mortgage Deed) के खिलाफ मूल मालिकाना हक के दस्तावेज जमा किए थे और उन्हें सुरक्षित रखना बैंक का कर्तव्य था. चूंकि बैंक 11 वर्षों तक दस्तावेजों को प्रस्तुत करने में सक्षम नहीं था, आयोग ने बैंक को आदेश दिया कि या तो उन्हें आठ दिनों में आपूर्ति की जाए या एक और बिक्री-विलेख (Sale Deed) तैयार किया जाए और इसे एक महीने में शिकायतकर्ताओं को इसकी प्रति आपूर्ति की जाए. संपत्ति के दस्तावेजों की स्थिति के बारे में बताते हुए बैंक को दंपति को एक प्रमाण पत्र जारी करना होगा.
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