Delhi News: दक्षिण दिल्ली से भारतीय जनता पार्टी के सांसद अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं. मॉनसून सत्र के दौरान बसपा सांसद के खिलाफ दिए गए बयान को लेकर उनकी और बीजेपी की काफी किरकिरी हुई. उसके बाद पार्टी नेतृत्व ने उन पर राजस्थान में चुनाव प्रचार के जरिए वहां मतदाताओं को बीजेपी के पक्ष में गोलबंद करने की जिम्मेदारी सौंप रखी है. उन्हें जिन क्षेत्रों का प्रभारी बनाया गया है, वो कांग्रेस नेता सचिन पायलट के प्रभाव वाला क्षेत्र है. इस बीच उन्होंने एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए लोगों से कहा- 'राजस्थान और टोंक चुनाव पर देश के लोगों की ही नहीं बल्कि लाहौर की भी नजर है'.


बीजेपी सांसद ने और क्या कहा?


 ​बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने आगे कहा कि अपना एक साम्राज्य बनाने के लिए अधिपत्य दर्ज कराना पड़ता है. युद्ध करने पड़ते हैं. खैरात में कोई किसी को कुछ नहीं देता. भूखे पेट लड़ना पडता है. तब जाकर आप अपना साम्राज्य बना सकते हैं. हमारे पूर्वजों के बनाए साम्राज्य को छीनने के प्रयास हजारों वर्षों से होता रहा है, लेकिन हम लोग सोते रहे. रोटियों की तरफ देखते रहे. हमने सोचा ही नहीं चित्तौड़ की महराजाओं की तरह घास की रोटी खा लेंगे लेकिन अस्मिता को नहीं जाने देंगे. आप लोग यह मत भूलिए, हम रणकुंभेरों की धरती राजस्थान के रहने वाले हैं. 



पीएफआई को टोंक में शरण कौन देता है?


रमेश बिधूड़ी बीजेपी के एक नेता अजीत के नाम जिक्र करते हुए कहा कि वो कह रहे थे विधानसभा चुनाव 2023 पर देश की नजर है. मैं, बताना चाहता हूं, इस चुनाव पर राजस्थान और टोंक के लोगों के साथ लाहौर की भी है. इसके आगे उन्होंने जनसभा में शामिल लोगों से पूछा- पीएफआई को शरण को कौन देता है? पीएफआई के जो लोग पकड़े जाते हैं, उन्हें रोटी कौन देता है? इसका जवाब देते हुए कहते हैं- 'टोंक वाले उसे रोटी खिलाते हैं. इसलिए, हमें यह देखना पड़ेगा कि 25 को चुनाव के बाद देश में लड्डू बंटने चाहिए या लाहौर में. आतंकवादी नजर गड़ाए बैठे हैं. '


बीजेपी सांसद ने सीएम अशोक गहलोत को निशाने पर लेते हुए कहा कि यहां एक्सीडेंट में विशेष समुदाय का कोई मारा जाएगा तो उसे परिवार को नौकरी  और 50 लाख रुपये दिए जाते हैं, लेकिन जब बेकसूर कन्हैया की हत्या होती है तो उनके परिवार वालों को 5 लाख रुपये भीख में दिए जाते हैं. साफ है ये लड़ाई अस्मिता की है. बता दें कि राजस्थान विधानसभा की कुल 200 सीटें पर मतदान 25 नवंबर को होना है. लोगों के रुख से तय होगा कि राजस्थान में पुराने रिवाज कायम रहेंगे या फिर से कांग्रेस को सत्ता पर काबिज होने का मौका मिलता है.