Delhi News:  मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम समूह) ने गाज़ा पर इजरायल के हमले की निंदा करते हुए संघर्ष खत्म करने के लिए तत्काल कदम उठाने की  मांग की और कहा कि संयुक्त राष्ट्र (United Nation) के फैसले के मुताबिक ही इजरायल-फलस्तीन (Israel-palestine) के मुद्दे का हल हो सकता है. हमास (Hamas) ने पिछले शनिवार को इजरायल पर हमला कर दिया था और इसके बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए इजरायल ने गाज़ा (Gaja) पर हवाई हमले शुरू कर दिए. इस लड़ाई में अबतक दोनों ओर से करीब 2600 लोगों की मौत हो चुकी है.


भारत ने इजरायल के शहरों पर हमास के हमले को ‘आतंकवादी हमला’ करार दिया है, लेकिन 'संप्रभु व स्वतंत्र' फलस्तीनी राष्ट्र के लिए बातचीत का समर्थन करने वाले अपने पुराने रुख को दोहराया है. जमीयत ने यहां अपनी कार्य समिति की बैठक के बाद सभी ‘न्यायप्रिय अंतरराष्ट्रीय संस्थानों’ से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की. जमीयत (एएम समूह) के अध्यक्ष और मुस्लिम वर्ल्ड लीग के संस्थापक सदस्य मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि जमीयत फलस्तीन के संघर्ष की हमेशा से समर्थक रही है.


इजराइल कब्जा करने वाला देश- मदनी
मदनी ने दावा किया, “जमीयत आज भी फलस्तीन के साथ खड़ी हैं. इज़राइल कब्ज़ा करने वाला एक देश है, जिसने कुछ विश्व शक्तियों के समर्थन से फलस्तीन की भूमि पर कब्ज़ा कर रखा है. उनके समर्थन से वह अब इस ज़मीन से फलस्तीनी नागरिकों के अस्तित्व को समाप्त करना चाहता है.” इजरायल और हमास के बीच शत्रुता अचानक बढ़ जाने से दुनिया चिंतिंत हो गई है. जर्मनी, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसी अग्रणी शक्तियों ने स्थिति को और अधिक गंभीर होने से रोकने के महत्व पर जोर दिया है.


इजराइली हमला बर्बर है - मदनी
मदनी ने आरोप लगाया कि गाज़ा पर इजराइली सेना का हमला, “आक्रामकता, बर्बर और अत्याचार” है और उन्होंने इसकी कड़ी निंदा की. उन्होंने सभी अंतरराष्ट्रीय नेताओं से गाज़ा में जारी घातक युद्ध और बमबारी को तुरंत रोकने के लिए आगे आने की अपील की है. मुस्लिम नेता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, वर्ल्ड मुस्लिम लीग और अन्य प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय संगठन बगैर किसी विलंब के हस्तक्षेप करें और वहां शांति की स्थापना के लिए सकारात्मक और प्रभावी प्रयास करें.


युद्ध की चपेट में आ जाएगी दुनिया- जमीयत
जमीयत प्रमुख ने कहा, “अगर ऐसा नहीं हुआ तो इस युद्ध का दायरा बढ़ सकता है और यह पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले सकता है.” उन्होंने यह आरोप लगाया, “विश्व की कुछ बड़ी शक्तियां अपने-अपने हितों को देखते हुए पश्चिम एशिया में खतरनाक खेल खेलती आई हैं, जिसके कारण फलस्तीन की जनता निरंतर इज़राइल के नाजायज़ कब्ज़े और उसकी क्रूरता का शिकार है.” 


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