दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी एक बार फिर हिंसा और आरोपों के घेरे में है. 15 अक्टूबर को JNU के School of Social Sciences में जनरल बॉडी मीटिंग हुई. इस दौरान छात्रों के दो गुटों में तीखी झड़प हो गई. जानकारी के मुताबिक इस झड़प में कई छात्र घायल हुए हैं, जिनमें महिला छात्राएं भी शामिल हैं.

Continues below advertisement

एसएफआई और AISA जो लेफ्ट से जुड़े संगठन है का आरोप है कि ABVP के सदस्यों ने मीटिंग को हिंसक बनाया. जबकि ABVP का कहना है कि झगड़ा वामपंथी काउंसलर की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद शुरू हुआ. जिसने उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्रों को लेकर अपमानजनक बातें कहीं थी. छात्रों के दोनों गुट एक दूसरे पर हिंसा के आरोप लगा रहे हैं. 

एबीवीपी ने वामपंथी संगठन पर लगाया आरोप

एबीवीपी ने इस हिंसा को लेकर वामपंथी गुटों पर तीखा हमला किया है. एबीवीपी छात्र संगठन की ओर से जारी बयान में कहा कि गया है कि जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज़ में जनरल बॉडी मीटिंग थी, जिसमें वामपंथी गुट से जुड़े एक काउंसलर ने अत्यंत भेदभावपूर्ण टिप्पणी की. 

Continues below advertisement

आरोप है कि काउंसलर ने बैठक में कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्र तथा एबीवीपी से जुड़े लोग जेएनयू में आने के योग्य नहीं हैं, इन्हें ऑडिटोरियम और इस कैंपस से बाहर निकाल फेंक देना चाहिए. इस बयान के बाद जीबीएम का माहौल तनावपूर्ण हो गया. 

छात्रों से भी मारपीट का आरोप

जब एबीवीपी से जुड़े छात्रों ने शांतिपूर्ण ढंग से विरोध किया और अपनी बात लोकतांत्रिक तरीके से रखने की कोशिश की, तो वामपंथी छात्रों ने उन पर हमला कर दिया. इस हिंसा में कई छात्र घायल हो गए, जिनमें महिला छात्राएं भी शामिल हैं. एबीवीपी ने वामपंथी गुटों द्वारा महिला छात्राओं पर हमला अत्यंत शर्मनाक और निंदनीय बताया. 

वहीं एबीवीपी और जेएनयू प्रशासन ने भी इस पूरे घटनाक्रम की कड़ी निंदा की और कहा कि ये घटना जेएनयू की लोकतांत्रिक और बौद्धिक परंपराओं पर सीधा हमला है. जेएनयू छात्रसंघ के संयुक्त सचिव वैभव मीणा ने कहा कि विचारों में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन असहमति के जवाब में हिंसा और क्षेत्रीय घृणा फैलाना लोकतंत्र के विरुद्ध है. 

उत्तर प्रदेश, बिहार या किसी भी राज्य से आने वाले छात्र समान गरिमा रखते हैं. किसी को यह अधिकार नहीं कि वह क्षेत्र, विचारधारा या संगठन के आधार पर किसी का अपमान करे या हमला करे.