राजधानी दिल्ली में अब पूर्व सांसदों (Ex-MPs) और पूर्व विधायकों (Ex-MLAs) के खिलाफ भी भ्रष्टाचार या बच्चों से जुड़े मामलों की सुनवाई विशेष अदालतों में होगी. उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसके बाद अब इन विशेष अदालतों का दायरा बढ़ा दिया गया है. पहले ये अदालतें सिर्फ मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई करती थीं.
दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा यह प्रस्ताव तैयार किया गया था, जिसे विधि विभाग ने जांचकर मंजूरी के लिए उपराज्यपाल को भेजा था. अब इन अदालतों में न केवल मौजूदा बल्कि पूर्व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ भी बाल अधिकारों के हनन (CPCR Act, 2005) और बच्चों से यौन अपराध (POCSO Act, 2012) से जुड़े मामले सुने जाएंगे. राजधानी के राउज एवेन्यू कोर्ट परिसर में पहले से ही तीन विशेष अदालतें इस काम के लिए बनाई गई थीं.
- कोर्ट ऑफ स्पेशल जज (पीसी एक्ट)(सीबीआई)-09
- कोर्ट ऑफ स्पेशल जज (पीसी एक्ट)(सीबीआई)-23
- कोर्ट ऑफ स्पेशल जज (पीसी एक्ट)(सीबीआई)-24
इन अदालतों को अब पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों के मामलों की भी सुनवाई का अधिकार मिल गया है. इससे ऐसे मामलों की सुनवाई में तेजी आने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि जुलाई 2023 में उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने ही इन तीन विशेष अदालतों की स्थापना को मंजूरी दी थी. यह कदम दिल्ली हाईकोर्ट के 2020 के आदेश के बाद उठाया गया था, लेकिन उस समय की केजरीवाल सरकार ने अधिसूचना जारी करने में तीन साल से ज्यादा की देरी की थी.
हर जिले में बनाई जाएगी विशेष अदालत
कानून के अनुसार, पॉक्सो एक्ट की धारा 28(1) में कहा गया है कि बच्चों से जुड़े अपराधों की त्वरित सुनवाई के लिए हर जिले में विशेष अदालत बनाई जाएगी. वहीं, सीपीसीआर एक्ट की धारा 25 राज्य सरकार को बच्चों के अधिकारों से जुड़े अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष अदालत गठित करने का अधिकार देती है.
दिल्ली में पहले से ही आठ अदालतें बच्चों से जुड़े अपराधों और पॉक्सो एक्ट के तहत मामलों की सुनवाई कर रही हैं. अब इन तीन नई अदालतों के अधिकार बढ़ने से न केवल बच्चों के मामलों की सुनवाई तेज होगी, बल्कि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ भी न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी.