दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ RRTS कॉरिडोर पर यात्रियों को समय पर सुरक्षित और परेशानी-मुक्त यात्रा का अनुभव दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. एनसीआरटीसी ने पहली बार हाई-स्पीड कैटेनरी मेंटेनेंस व्हीकल (CMV) को अपने बेड़े में शामिल कर लिया है. यह सिर्फ एक तकनीकी उन्नति नहीं, बल्कि पूरे RRTS नेटवर्क को अधिक भरोसेमंद और अत्याधुनिक बनाने की दिशा में अहम बदलाव है.

Continues below advertisement

रियल टाइम निगरानी अब और तेज

82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर में ओवरहेड पावर सप्लाई सिस्टम यानी OHE की स्थिरता बनाए रखना बेहद जरूरी है. यही सिस्टम नमो भारत ट्रेनों को बिजली देता है.

नया हाई-स्पीड CMV इस OHE सिस्टम की रियल-टाइम मॉनिटरिंग करेगा और किसी भी गड़बड़ी को तुरंत पहचानकर उसे ठीक करने में टीम की मदद करेगा. इससे भविष्य में मेंटेनेंस में लगने वाला समय काफी कम होगा और सेवाएं और ज्यादा समय पर चल सकेंगी.

Continues below advertisement

CMV को ETCS लेवल- 2 हाइब्रिड लेवल 3 से जोड़ा गया

इस CMV की सबसे बड़ी खासियत इसका दुनिया में पहली बार आजमाया गया फीचर है. भारत में पहली बार किसी कैटेनरी मेंटेनेंस वाहन को ETCS लेवल-2 हाइब्रिड लेवल-3 सिग्नलिंग सिस्टम से जोड़ा गया है. नमो भारत प्रोजेक्ट पर यह सिस्टम पहले ही लागू है और ट्रेनें इसी तकनीक पर चलती हैं.

अब CMV भी इसी हाई-टेक सिग्नलिंग से जुड़कर ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) मोड में सुरक्षित तरीके से चल सकेगा. इसका मतलब है कि वाहन खुद तय करेगा कि कौन-सी स्पीड सुरक्षित है और कब रुकना या धीमा होना है. इससे ऑपरेशन दौरान होने वाली किसी भी मानवीय गलती की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी.

तेज रफ्तार से पहुंचेगा मेंटेनेंस स्पॉट पर

RRTS कॉरिडोर सुबह 5:30 बजे से रात 11 बजे तक ऑपरेट होता है. मेंटेनेंस का समय रात में बहुत सीमित मिलता है. ऐसे में 120 किमी प्रति घंटा की डिज़ाइन स्पीड और 110 किमी प्रति घंटा की ऑपरेटिंग स्पीड वाला यह CMV टीमों के लिए गेम-चेंजर साबित होगा.

अब किसी भी हिस्से में खराबी या जांच की जरूरत होने पर टीमें मिनटों में वहां पहुंच सकेंगी. इससे बड़ी मरम्मत भी समय पर हो सकेगी, और अगले दिन की ट्रेनों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

यह CMV फ्लेक्सिबल और रिजिड, दोनों तरह के कैटेनरी सिस्टम पर काम कर सकता है. इसमें लगा एडवांस लिफ्टिंग और स्विवलिंग प्लेटफ़ॉर्म टीम को ओवरहेड वायर तक सुरक्षित और आसान पहुंच देता है.

बकेट क्रेन की मदद से कर्मचारी उन जगहों पर भी आसानी से पहुंच सकते हैं जो सामान्य परिस्थितियों में काफी मुश्किल होती हैं, जैसे स्विचिंग पोस्ट या ऊंचाई वाले सेक्शन.

इसके अलावा वाहन में लगा पैंटोग्राफ ओवरहेड तारों की स्थिति मापता है और कैमरे हर गतिविधि पर रियल-टाइम निगरानी रखते हैं, जिससे हर ऑपरेशन सुरक्षित रहता है.

क्रू के लिए भी ज्यादा सुरक्षित माहौल

मेंटेनेंस टीम की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए CMV में कई इंटरलॉकिंग और सेफ्टी मेकेनिज्म लगाए गए हैं. किसी भी असामान्य स्थिति जैसे ओवर-लोड, गलत पोज़िशन या प्लेटफॉर्म के असंतुलन की स्थिति में सिस्टम खुद ही सुरक्षा को सक्रिय कर देता है. इससे ऑपरेटर्स बिना जोखिम के अपना काम कर पाते हैं.

उत्तराखंड में स्वदेशी तकनीक से बने इस CMV के शामिल होने से RRTS नेटवर्क की ऑपरेशनल क्षमता में बड़ी छलांग आई है. अब मेंटेनेंस तेज़, सटीक और 100% सुरक्षित ढंग से होगा. इसका सीधा फायदा यात्रियों को मिलेगा.