दिल्ली हाई कोर्ट ने मुंडका इंडस्ट्रियल एरिया में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी पर गंभीर सवाल उठाए. कोर्ट को बताया गया कि इलाके में न तो पीने के पानी की सुविधा है, न ही स्टॉर्म वॉटर ड्रेन और न ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट. हालात इतने खराब हैं कि सीवर हटवाने के लिए निजी पंपों का सहारा लिया जा रहा है. जस्टिस प्रतिभा सिंह ने स्थिति पर नाराज़गी जताते हुए कहा यही असली समस्या है… फिर बाहर कचरा फेंककर जला दिया जाता है. पीने का पानी देने में क्या दिक्कत है.

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दिल्ली हाई कोर्ट ने 37 एसटीपी प्लान को लेकर मांगी जानकारी

यह पूरा मामला दिल्ली में एसटीपी, कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स और यमुना की सफाई से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई के दौरान उठा. कोर्ट पहले ही दिल्ली जल बोर्ड को सभी 37 एसटीपी का विस्तृत एक्शन प्लान पेश करने का आदेश दे चुकी है. इसके अलावा कोर्ट ने DPCC और DSIIDC को बवाना और नरेला इंडस्ट्रियल एरिया की स्थिति पर रिपोर्ट देने के लिए बैठक करने का निर्देश दिया था.

सुनवाई में बताया गया कि दिल्ली में 27 नॉन-कनफॉर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया हैं, जिनका पुनर्विकास DSIIDC कर रहा है. तीन कंसल्टेंट एजेंसियों को सर्वे और नए लेआउट प्लान तैयार करने का काम दिया गया है, जिन्हें DSIIDC, MCD और DDA मिलकर जांच रहे हैं.

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19 दिसंबर को होने वाली सुनवाई बेहद अहम

दिल्ली हाई कोर्ट को यह भी बताया गया कि इंडस्ट्रियल एरिया और DSIIDC के बीच एमओयू साइन हो चुका है और सर्वे का काम शुरू हो गया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्लान प्रोसेसिंग के लिए लगने वाला पूरा खर्च DSIIDC ही MCD को देगा और फंड रिलीज़ में कोई देरी नहीं होनी चाहिए. इंडस्ट्रियल एसोसिएशन्स भी अपने सुझाव दे सकते हैं. अब यह मामला 19 दिसंबर को फिर सुना जाएगा. उसी दिन लोक कमिश्नर वृंदा भंडारी भी बताएँगी कि किस तरह पानी प्रदूषण, दिल्ली की हवा को भी खराब करने में बड़ी भूमिका निभा रहा है.